भारत से भेजी गयी मदद व हजारों टन गेहूं की तालिबान ने अपने लोगों में की बंदरबांट: अहमद मसूद
पंजशीर वैली : तालिबान के प्रमुख विरोधी गुट नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान के नेता अहमद मसूद ने कहा है कि तालिबान ने अपने लड़ाकों और उनके परिवारों के लिए भारत से मानवीय आधार पर मिले हजारों टन गेहूं का इस्तेमाल किया है. तालिबान ने वास्तव में भूखे और जरूरतमंद लोगों में इसे नहीं बांटा है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं भेजने का फैसला किया है. गेहूं की कई खेप पाकिस्तान के रास्ते जंग से तबाह देश के लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए भेजी जा चुकी है.
पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के 33 वर्षीय बेटे अहमद मसूद ने पंजशीर वैली में एक अज्ञात जगह से उसे दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि ‘मुझे सत्ता नहीं चाहिए और मेरी लड़ाई इंसाफ और आजादी के लिए है.’ मसूद ने कहा कि तालिबान भारत से मिल रही मदद को सही ढंग से नहीं बांट रहा है. वे जातीयता के आधार पर एक इलाके के लोगों को दूसरों की तुलना में ज्यादा देते हैं. यह पहली बार है जब किसी अफगान नेता ने तालिबान के खिलाफ इस तरह का गंभीर आरोप लगाया है. मसूद के पिता अहमद शाह मसूद की अमेरिका में हुए 9/11 के हमलों से कुछ दिन पहले हत्या कर दी गई थी.
मसूद ने कहा कि अफगानिस्तान एक बार फिर ‘अंधे दौर’ में वापस चला गया है. तालिबान के लोग अल कायदा और अन्य आतंकवादी समूहों को पनाह दे रहे हैं. वे यहां आजादी से घूम रहे हैं और काम कर रहे हैं. अयमान अल जवाहिरी को मारने वाले अमेरिकी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमले के समय काबुल के बीच में अल कायदा नेता की मौजूदगी ‘आश्चर्यजनक नहीं’ थी. उन्होंने तालिबान को संरक्षण देने के लिए पाकिस्तान पर भी हमला किया. मसूद ने कहा कि यह एक ऐसी आग है जिसके साथ पाकिस्तान ने खेला और हम देखेंगे कि देर-सबेर यह उन पर पलटवार करेगा. मसूद ने कहा कि तालिबान का शासन जैश-ए-मोहम्मद और कई अन्य आतंकवादी समूहों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह है. जो भारत और इस इलाके के सभी देशों के लिए खतरा हैं.