इंदौर के फर्जी आदेश से संतोष वर्मा को मिला आईएएस अवार्ड
इंदौर। मप्र हाईकोर्ट मुख्य पीठ जबलपुर के विजिलेंस जज ने जिला कोर्ट इंदौर के फर्जी आदेश के जरिए आइएएस अवार्ड मामले में दो जजों के खिलाफ जांच के लिए इंदौर पुलिस को अनुमति दे दी।
ये दोनों जज हैं इंदौर में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) रहे विजेंद्र सिंह रावत व मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) अमन सिंह भूरिया।
अब इंदौर पुलिस फर्जी आदेश कांड में जांचकरेगी कि फर्जी आदेश से आईएएस अवार्ड प्राप्त करने वाले नगरीय प्रशसन विभाग के निलंबित अपर आयुक्त संतोष वर्मा इंदौर पुलिस के हाथों गिरफ्तारी के बाद से इंदौर की जेल में ढाई माह से बद हैं।
फर्जी आदेश से आईएएस अवार्ड की शिकायत फरियादी हर्षिता द्वारा किए जाने के बाद जज रावत ने एमजी रोड थाने में शिकायत गत 27 जून को की थी। इस पर पुलिस ने आईएएस वर्मा के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था।
इसी दौरान जांच में यह भी आया है कि फर्जी आदेश कांड में दो जज रावत व भूरिया का नाम आ रहा है। इसलिए की फर्जी आदेश जज रावत की कोर्ट का था। उसके पहले प्रकरण अन्य कोर्ट में था।
उस कोर्ट से केस ट्रांसफर की अर्जी सीजेएम भूरिया की कोर्ट में पहुंचा तो जज भूरिया ने अर्जी के आधार पर प्राथमिकता से केस जज रावत की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।
इस पर पुलिस ने पूरी जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट जबलपुर भेज कर दोनों जजों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी। एसआईटी करेगी जांच : विजिलेंस जज की अनुमति मिलने के बाद डीआईजी इंदौर ने पुलिस अफसरों की एसआईटी गठित कर दी है।
एसआईटी द्वारा जांच के बाद रिपोर्ट किसे सौंपी जाएगी यह स्पष्ट नहीं किया गया है। हाई कोर्ट जबलपुर की विजिलेंस विंग ने पुलिस की जांच रिपोर्ट यह जांचने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी कि मामला जांच योग्य है।
इस पर विजिलेंस जज ने इंदौर पुलिस को दोनों जजों के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी। निलंबित आईएएस संतोष वर्मा और एक मजिस्ट्रेट के बीच पिछले आठ माह में 144 बार कॉल हुए। दोनों ने 400 मिनिट बातचीत की।
यह खुलासा पुलिस द्वारा प्रस्तुत चालान में हुआ है। वर्मा ने मजिस्ट्रेट को रुपये देने का दावा भी किया है। पुलिस ने एक आइएएस और वर्मा के बीच हुई बात की रिकार्डिंग भी पेश की है। पूरी विवेचना में 34 लोगों को गवाह बनाया गया है।
यह है मामला – गौरतलब है कि संतोष वर्मा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। वर्मा ने अपने खिलाफ दूसरी फत्नी हर्षिता की शिकायत पर जिला न्यायालय में चल रहे मारपीट के प्रकरण में कोर्ट का फर्जी फैसला तैयार करवाकर उसे सामान्य प्रशासन विभाग में प्रस्तुत किया ताकि उसे आइएएस अवार्ड मिल सके। वर्मा ने इस फैसले के आधार पर अवार्ड हासिल कर भी लिया।
फर्जी आदेश पर जिस कोर्ट की मुहर लगी थी उसी कोर्ट के न्यायाधीश रावत ने वर्मा के खिलाफ एमजी रोड थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने वर्मा को गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह जेल में हैं।