मिठास का मंदिर
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में भयंकर तूफान आया, जिससे अनेक वृक्ष, ऊंचे-ऊंचे मकान आदि धराशायी हो गए। गांव का एकमात्र मंदिर भी नष्ट हो गया। ग्रामवासी पांडुरंग शास्त्री के पास पहुंचे और मंदिर निर्माण हेतु कुछ करने की प्रार्थना की।
पांडुरंग शास्त्री ने कहा, ‘एक ही मंदिर क्यों? घर-घर मंदिर बनाओ।’ इस पर लोग बोले, ‘महाराजा एक मंदिर बनाना ही कठिन है, घर-घर मंदिर बनाने के लिए धन कहां से आएगा।’ शास्त्री जी बोले, ‘घर-घर आम का पौधा लगाओ। नष्ट हुए मंदिर के अासपास भी आम रोप दो।
पौधों को जल से सींचो, उन्हीं को पूजो, फिर चमत्कार देखाना।’ कुछ वर्ष बाद पूरा गांव आमों का विशाल बाग बन गया। आम की फसल बेचकर जो धन मिला, उससे एक मंदिर की स्थापना की गयी, जिसका नाम रखा गया अमृतालयम। पांडुरंग शास्त्री की बात का ध्यान रख सभी गद्गद हो गए।