आत्मविश्वास
बात 1960 के रोम ओलंपिक की है। एक बहादुर लड़की विल्मा रुडोल्फ, जिसकी उम्र मात्र बीस वर्ष थी। उसे चार वर्ष की आयु में निमोनिया, काला बुखार और पीलिया हो गया था। वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गयी, जिसकी वजह से उसे पैरों में एंकल सपोर्ट ब्रेस पहननी पड़ी थी। डॉक्टरों के मना करने के बावजूद विल्मा रुडोल्फ़ ने अपने पैरों की ब्रेस उतार फेंकी। वह आत्मविश्वास के साथ अपने सपने को पूरा करने के लिए निरंतर अभ्यास करने लगी।
उसने अपने आत्मविश्वास को इतना ऊंचा कर लिया कि असंभव-सी बात पूरी कर दिखलाई और ओलंपिक में पहुंच गयी। लोग रोम ओलंपिक में 83 देशों के 5346 खिलाड़ियों में इस बीस वर्षीय बालिका का असाधारण पराक्रम देखने के लिए उत्सुक थे। अश्वेत विल्मा रुडोल्फ शारीरिक रूप से अपूर्ण धाविका थी। ओलंपिक में विल्मा रुडोल्फ इतनी तेज़ दौड़ी कि उसने सारी दुनिया को हैरान कर दिया। वह उस ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक जीत कर दुनिया की सबसे तेज़ धाविका बनी।