जानिए किसके कहने पर चुनी गई जांच के लिए लैब और हरिद्वार कुंभ में हुई फेक टेस्टिंग

देहरादून : महाकुंभ में रैपिड एंटीजन टेस्ट करने वाली लैब का चयन ईओआई यानी मनमर्जी से करने का निर्णय सचिव स्वास्थ्य के निर्देश पर लिया गया। कुंभ मेले में मेलाधिकारी स्वास्थ्य बनाए गए अफसर ने स्वास्थ्य महानिदेशालय को यह जानकारी दी है। हरिद्वार में महाकुंभ में एंटीजन जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद डीजी हेल्थ डॉ.तृप्ति बहुगुणा ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की। कमेटी ने जांच का काम निजी लैबों को देने को लेकर मेलाधिकारी स्वास्थ्य डॉ.अर्जुन सिंह सेंगर से जवाब मांगा। डॉ.सेंगर ने लिखित जवाब में कहा है कि गत 28 दिसंबर को हुई वर्चुअल बैठक में सचिव स्वास्थ्य ने कोरोना की एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच को निजी लैबों का चयन ईओआई के जरिए करने के निर्देश दिए थे। उसके आधार व समय कम होने की वजह से निजी लैब-फर्म को काम दिया गया। डॉ. सेंगर ने बताया, फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को बैठक का कार्यवृत भी भेजा गया है। इस जवाब से सरकार के अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि मौखिक आदेश के अनुसार, कार्य की वजह से ज्यादा परेशानी मेलाधिकारी स्वास्थ्य को ही होनी है।

ईओआई का मतलब है कि यदि कोई कंपनी किसी काम को करने की इच्छा दिखाती है तो उसे काम आवंटित कर दिया जाता है यानी जिसने काम मांगा, उसे आवंटित कर दिया। नियमों के तहत महाकुंभ के दौरान कोविड जांच के लिए लैब का चयन टेंडर के जरिए किया जाना चाहिए था। घपले की जांच में सामने आया कि एक आउटसोर्स एजेंसी को भी कोविड टेस्टिंग का काम दे दिया गया। मेलाधिकारी स्वास्थ्य ने अपने जवाब में कहा है कि महाकुंभ के दौरान कोरोना की रैपिड एंटीजन जांच कराने के लिए लैब का चयन करने के लिए क्रय समिति गठित नहीं की गई। जिससे साफ है कि मानकों का पालन नहीं किया गया और जिसने भी इच्छा जताई उसी फर्म या लैब को कोरोना जांच की इजाजत दे दी गई। यही नहीं इस मामले में आईसीएमआर और एनएबीएल की शर्तों का भी पालन नहीं हो पाया।

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