MP में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर, राघोगढ़ विधानसभा सीट BJP के लिए बनी सिरदर्द, जानिए वजह…
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 17 नवंबर को वोटिंग होगी और 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे। 230 विधानसभा सीट वाले राज्य में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर है। भाजपा ने 136 उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। वहीं, रविवार (16 अक्टूबर) को कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की घोषणा की है।
भाजपा के लिए सिरदर्द बनी राघोगढ़ विधानसभा सीट
राज्य में कई ऐसी सीटें हैं जो भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बन चुकी है। गुना जिले की राघोगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं है। साल 1962 से लेकर अब तक इस सीट पर 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
गौरतलब है कि इस सीट पर एक बार भी भाजपा को सफलता नहीं मिली। साल 1962 में कांग्रेस ने इस सीट से जीत हासिल की। इसके बाद साल 1967 में पी लालाराम स्वतंत्र पार्टी से चुने गए। 1972 में हरलाल शाक्यवार भारतीय जनसंघ से जीते थे। वहीं 1977 के बाद से 2018 तक के चुनाव में हमेशा कांग्रेस की जीत हुई।
दिग्विजय सिंह का इस सीट पर रहा है दबदबा
साल 1977 में दिग्विजय सिंह इस सीट से विधायक बने थे। इस विधानसभा क्षेत्र की जनता ने दिग्विजय सिंह पर इतना भरोसा किया कि अब तक इस सीट पर उनके परिवार का ही कब्जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने इस सीट से 1977 और 1980 का चुनाव जीता था।
साल 1985 में इस सीट पर दिग्विजय सिंह के भाई मूल सिंह ने चुनाव जीता। 1990 और 1993 में दिग्विजय सिंह के दूसरे भाई लक्ष्मण सिंह ने चुनाव जीता और 1998 और 2003 में दोबारा दिग्विजय सिंह यहां से चुनकर विधायक बने। 2008 में मूल सिंह फिर यहां से विधायक बने और 2013 और 2018 के चुनाव में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की।
दिग्विजय सिंह के बेटे को चुनौती देंगे हिरेंद्र सिंह बंटी
आगामी विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह चुनाव लड़ने वाले हैं। वहीं, भाजपा की तरफ से हिरेंद्र सिंह बंटी को उम्मीदवार बनाया गया है। देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भाजपा के उम्मीदवार इस सीट पर जीतकर मध्य प्रदेश में एक नया इतिहास रच सकेंगे या दिग्विजय सिंह के बेटे पर जनता अपना भरोसा जताएगी।