दिल्ली वाले बिल पर हुए विवाद पर राघव चड्ढा ने खुद पर लगे आरोपों को किया खारिज, जानिए पूरा मामला

आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने दिल्ली वाले बिल को लेकर हुए विवाद में खुद को बेकसूर बताया है। बिल को सलेक्ट कमिटी में भेजे जाने को लेकर उनके प्रस्ताव के बाद पांच सांसदों की ओर से लगाए गए आरोपों को राघव चड्ढा ने गलत बताते हुए कहा कि इसमें दस्तखत नहीं है। इसलिए फर्जीवाड़े की बात गलत है। उन्होंने जन्मदिन की पार्टी में न्योते से इसकी तुलना करते हुए बताया कि जो इसमें शामिल नहीं होना चाहते वह अलग हो सकते हैं। इस दौरान चड्ढा और संजय सिंह ने राहुल गांधी की तरह सदस्यता छीन लिए जाने की आशंका भी जाहिर की। उधर,भाजपा ने राघव चड्ढा की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि सलेक्ट कमिटी के लिए नाम प्रस्तावित करने से पहले सहमति की आवश्यकता होती है।

गुरुवार को आप के तीन राज्यसभा सांसदों संजय सिंह, राघव चड्ढा और संदीप पाठक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि भाजपा सरकार राहुल गांधी की तरह राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म करना चाहती है। संजय सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने एक नई परंपरा शुरू कर दी है, जो भी सरकार के खिलाफ बोले उसकी सदस्यता खत्म करो, निलंबित करो, बाहर करो, एफआईआर करो। संजय सिंह ने कहा, ‘सलेक्ट कमिटी में किसी भी सदस्य के द्वारा किसी भी सदस्य का नाम प्रस्तावित किया जा सकता है। उसके किसी सिग्नेचर की आवश्यकता नहीं होती। आपका मकसद है राहुल गांधी की तरह राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म करना। लेकिन हम लोग अरविंद केजरीवाल के सिपाही है, आम आदमी पार्टी के सिपाही हैं। हर साल में लड़ना और जीतना जानते हैं। किसी तरह आपने हथकंडे अपनाकर राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म की तो दोबारा चुनकर आ जाएंगे।’

राघव चड्ढा ने खुद को बकसूर बताते हुए कहा कि बीजेपी एक झूठ को बार-बार बोलकर सच साबित करने के लिए प्रोपेगेंडा चला रही है। राघव ने रूल बुक दिखाते हुए कहा, ;किसी भी सलेक्ट कमिटी के गठन के लिए आप नाम प्रस्तावित करते हैं, जिस मेंबर का नाम प्रस्तावित किया जाता है। उसका ना साइन चाहिए और ना लिखित सहमति चाहिए। इस किताब में कहीं नहीं लिखा है कि सलेक्ट कमिटी में किसी सदस्य का नाम देने के लिए उस सदस्य की लिखित सहमति या साइन चाहिए। एक झूठा प्रचार फैलाया गया कि फर्जीवाड़ा हो गया साइन का। जब भी सलेक्ट कमिटी के लिए नाम प्रस्तावित किए जाते हैं तो ना साइन लिए जाते हैं, ना जमा किए जाते हैं, ना इसकी जरूरत होती है। जब किसी से हस्ताक्षर लिया नहीं, जमा किया नहीं तो फर्जी साइन की अफवाह फैलाई जा रही है। यह गलत और झूठ है। मैं बीजेपी के नेताओं को चुनौती देता हूं कि वह कागज दिखाएं मुझे जिसमें यह दस्तखत हैं।’ 

‘जैसे किसी को बर्थडे पार्टी का न्योता मंजूर ना हो…’

राघव ने कहा कि सलेक्ट कमिटी में किसी को जबरन शामिल नहीं किया जाता है। नाम प्रस्तावित किए जाते हैं और यदि किसी को मंजूर नहीं है तो वह अपना नाम वापस ले लेता है। उन्होंने दो उदाहरण देते हुए कहा, ‘मान लीजिए मेरा जन्मदिन है। मैं जन्मदिन के लिए दावत देने के लिए 10 लोगों को न्योता देता हूं। 8 लोगों को मेरा न्योता स्वीकार है, 2 लोग स्वीकार नहीं करते हैं और कहते हैं कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुए कि हमें न्योता दिया। यह वही बात है। मैंने तो समिति में शामिल होने का न्योता दिया, कोई हस्ताक्षर थोड़ी दिया। लेकिन वो दो लोग मुझसे खफा हो गए। मैं दूसरे तरीके से समझता हूं, आज इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इतने पत्रकार हैं। मैंने अपनी पार्टी को कहा कि 10 पत्रकारों को बुला लीजिए। 10 में से 8 पत्रकार आ गए, 2 नहीं आए और कहें कि इनकी हिम्मत कैसे हुई बुलाने की।’ 

‘अटल, इंदिरा से सुषमा तक के खिलाफ जांच’

राघव ने कहा कि उनके खिलाफ जो मामला दर्ज किया गया उसको लेकर पार्लियामेंट्री बुलेटिन में कहीं भी फर्जीवाड़ा, साइन जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार समिति पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली जैसे नेताओं के खिलाफ भी जांच कर चुकी है। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी होने की उम्मीद जाहिर करते हुए राघव ने कहा कि उन्होंने पूरी मजबूती से दिल्ली के अध्यादेश पर अपनी बात रखी थी। इसके छह घंटे बाद बीजेपी ने आरोप लगाए। उन्हें दिक्कत इस बात से नहीं है कि कुछ नाम प्रस्तावित किए, बल्कि दिक्कत इस बात से है कि एक युवा ने ललकारा कैसे।

बीजेपी ने क्या बताया नियम?

दिल्ली भाजपा के सचिव हरीश खुराना ने चड्ढा पर पलटवार किया। उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा, ‘राज्यों की परिषद (राज्य सभा) में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम नंबर 72 (2) कहता है कि यदि कोई सदस्य सलेक्ट कमिटी में नहीं रहना चाहता है कि उसे नियुक्त नहीं किया जा सकता है। प्रस्तावक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन सदस्यों का नाम वो प्रस्तावित कर रहे हैं वे कमिटी में सेवा देने को इच्छुक हैं या नहीं। यह बर्थडे पार्टी के न्योते की तरह नहीं है, जिसकी हल्के अंदाज में राग चड्ढा बात कर रहे हैं। चड्ढा लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि नाम प्रस्तावित करने से पहले उन्होंने सांसदों से सहमति ली या नहीं।’

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker