इस विशाल कब्रिस्तान में रोज दफ्न होते है 200 लोग

ये दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है. सुनकर थोड़ा आप भी सोचने लगेंगे कि सैकड़ों एकड़ में बना ये महज एक कब्रिस्तान कैसे हो सकता है. लेकिन यही सच्चाई और आज हम आपको इसकी कहानी बताते हैं.

50 लाख से ज्यादा लाशें दफ्न

दुनिया के इस सबसे बडे़ कब्रिस्तान का नाम ‘वादी-अल-सलाम’ है, जो इराक (Iraq) के नजफ में स्थित है. इसका इतिहास 14वीं सदी का बताया जाता है. ये कब्रिस्तान करीब 1485 एकड़ में फैला है, जिसे ‘वैली ऑफ पीस’ के नाम से भी जाना जाता है. चूंकि इराक शिया मुस्लिमों की आबादी वाला देश है, इसलिए यहां दुनियाभर के शिया अपनों को दफनाने के लिए यही जगह पसंद करते हैं. कहा जाता है कि यहां शिया इमाम और चौथे खलीफा इमाम अली इब्न अबी तालिब की दरगाह भी है. इस कब्रिस्तान में सभी कब्र पत्थर और मिट्टी से ही बनी हुई है, इन कब्रों में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

रोजाना 200 लोग किए जाते हैं दफ्न

इस कब्रिस्तान में रोजाना 200 लोगों को दफ्न किया जाता है. शुरूआत में यहां सिर्फ इराक के लोगों को ही दफनाया जाता था. लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार होता गया, जिसके बाद दूसरे इस्लामिक देशों के लोगों के साथ-साथ यूरोप के मुस्लिमों की कब्रें बन गईं. हालांकि, इस जगह में कितनी कब्रें हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. लेकिन आर्थिक बदहाली और युद्ध के कारण यहां कब्रों की संख्या बढ़ती ही गई.

लाखों लोग देखने आते हैं कब्रिस्तान

दिलचस्प बात ये है कि इस कब्रिस्तान को लाखों लोग दूर-दूर से देखने आते हैं. यहां एक कब्र बनाने के लिए 1,50,000 दिनार यानी करीब 9000 रुपए देने पड़ते हैं. कब्र में इस्तेमाल होने वाले पत्थर अलग-अलग रेंज में होते हैं, वो ढाई से तीन लाख दिनार में पड़ते हैं. यहां मुर्दा दफ्नाने आने वाले लोगों का कहना है कि इमाम अली के प्रति प्यार और सम्मान के चलते उनके पूर्वजों की कब्रें यहां हैं.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker