गुजरात से पहले उत्तराखंड में भी बीजेपी ने चला था समान आचार संहिता लागू करने का दांव
देहरादून : गुजरात चुनाव से पहले बीजेपी ने समान आचार संहिता का जिक्र कर सरगर्मी पैदा कर दी है। लेकिन भगवा दल इससे पहले उत्तराखंड के चुनाव में भी ये कार्ड खेल चुकी है। नतीजे देखे जाए तो लगता है कि इसका उसे वहां पर फायदा भी मिला। यही वजह है कि गुजरात में वो इसकी पुनरावृत्ति करना चाहती है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसके क्रियान्वयन के लिए जो यूसीसी कमेटी बनाई है उसे अभी तक 1 लाख से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं। उत्तराखंड में चुनावी अभियान के आखिरी दिन 12 फरवरी को धामी ने वायदा किया था कि बीजेपी चुनाव जीती तो एक पैनल का गठन किया जाएगा जो समान आचार संहिता के लिए काम करेगा।
एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उनका कहना था कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर की रक्षा करना न केवल सूबे के लिए बल्कि देश के लिए भी काफी जरूरी है। सत्ता में वापसी करते ही बीजेपी ऐसे लोगों का पैनल तैयार करेगी जो लीगल सिस्टम के साथ जुड़े लोगों के अलावा और लोगों को भी साथ लेकर काम करेगा। कमेटी उत्तराखंड के लोगों के लिए समान आचार संहिता का ड्राफ्ट बनाने का काम करेगी।
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ये यूसीसी शादी, तलाक, जमीन, प्रॉपर्टी और सभी धर्मों के लोगों के लिए एक से कानून बनाने का प्रस्ताव तैयार करेगा। उनका कहना था कि यूसीसी संविधान निर्माताओं के सपने पर खरा उतरेगा। ये संविधान के आर्टिकल 44 की तरफ एक सकारात्मक कदम होगा। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने भी समान आचार संहिता की वकालत की है। इस दिशा में कारगर कदम न उठाने के लिए शीर्ष अदालत ने कई बार सरकारों के प्रति अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी।
सरकार बनने के बाद ही धामी ने पहली कैबिनेट मीटिंग में यूसीसी कमेटी बनाने की बात कही थी। उसके बाद कैबिनेट ने सर्व सम्मति से हाई पावर्ड कमेटी बनाने को मंजूरी दी थी। कमेटी में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई, दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर जज प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विवि की वीसी सुरेखा डंगवाल शामिल हैं। 4 जुलाई को इसकी पहली मीटिंग हुई थी।