कौन था अहिरावण, जिसने श्रीराम-लक्ष्मण दोनों का कर लिया था हरण
पौराणिक कथाओं में लंकापति रावण का तो उल्लेख है ही, किंतु उसके अलावा भी 2 रावण और थे. जिनके नाम बताए जाते हैं- अहिरावण और महिरावण. ये दोनों भी अधर्मी राक्षस थे. इनका वर्णन वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता. किंतु रामायण की कुछ पुस्तकों में इनके बारे में उल्लेख है. रामचरितमानस के अनुसार, अहिरावण रावण का सौतेला भाई था. वह पाताल में रहता था. श्रीराम से युद्ध में जब लंकापति रावण का पक्ष कमजोर पड़ने लगा था तो अहिरावण युद्धभूमि में आया.
श्रीराम कथा का भक्तों को श्रवण कराने वाले विद्वान मोहनश्याम कहते हैं- अहिरावण इच्छानुसार रूप बदल सकता था. उसने श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण करने की साजिश रची थी. इसके लिए अहिरावण ने रात्रि का वक्त चुना. जब पूरी वानरसेना सो रही थी तो अहिरावण ने विभीषण का रूप धारण कर श्री राम और लक्ष्मण को अगवा कर लिया. वे दोनों भाई भी तब सोए हुए थे.
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अहिरावण ने मायावी शक्तियों का प्रयोग कर किसी को भी भनक नहीं लगने दी. वह उन दोनों भाइयों को एक मार्ग से पाताल में ले गया. जब विभीषण-जामवंत आदि को पता चला कि श्रीराम और लक्ष्मण उनके बीच नहीं हैं तो विभीषण ने कहा कि जरूर अहिरावण का किया धरा है. जिसके बाद संकटमोचक हनुमान ने एक बार फिर प्रण किया कि उनके रहते श्रीराम और लक्ष्मण का बाल भी बांका नहीं होगा.
हनुमान बिना विलंब किए श्रीराम-लक्ष्मण की खोज में पाताल तक जा पहुंचे. जहां उन्होंने मकरध्वज को पराजित किया. उसके बाद अहिरावण का वध कर श्रीराम-लक्ष्मण को पाताल से वापस लेकर आए.
भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां के पुजारी नागेश द्विवेदी बताते हैं कि वहां से हनुमान जी पाताललोक गए थे, इसलिए वहां विराजमान हनुमान जी की मूर्ति का सिर नीचे की ओर है और वहां उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है.