मैंने अगली सुबह वांग यी को फोन किया, गलवान हिंसक झड़प के बाद क्या हुआ जयशंकर ने किया जिक्र
दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ भारत के संबंधों पर बात करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में भारत के ढाई साल “बहुत मुश्किल” थे, जिसमें 40 साल बाद उनकी सीमा पर पहला रक्तपात भी शामिल था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिर भी वार्ता को खुला रखा गया। बीजिंग के साथ पड़ोसियों के रूप में एक दूसरे को व्यवहार करना है। जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों के बढ़ते महत्व और सुरक्षा-केंद्रित क्वाड के सदस्यों के रूप में दोनों देशों के हितों के बारे में लोवी इंस्टीट्यूट में अपने संबोधन के बाद सवालों के जवाब में ये टिप्पणी की है।
जयशंकर ने कहा कि हमारा प्रयास संवाद माध्यमों को चालू रखने का रहा है। वर्ष 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे मंत्री ने कहा कि वास्तव में, उसके बाद की सुबह, मैंने अपने समकक्ष वांग यी को फोन किया और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि चीनी पक्ष की ओर से कोई उकसावे या जटिलता वाले कदम नहीं उठाए जाए। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि कूटनीति संचार के बारे में है। यह सिर्फ चीन के साथ संबंध में नहीं है, यहां तक कि (अन्य देशों) के संबंध में भी… यदि राजनयिक एक-दूसरे के साथ संवाद नहीं करेंगे तो वे किस तरह की कूटनीति करेंगे?
‘आरक्षण जरूरी है’ मानवाधिकार आयोग ने बताए निचले तबके के हाल
जयशंकर ने कहा कि आखिर में देशों को एक-दूसरे से बात करनी पड़ती है। भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसी पर शांति और शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। गतिरोध को हल करने के लिए भारतीय और चीनी सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत की है।