भारत के साथ 5 और देशों को मिली थी आजादी, स्वतंत्रता की अनसुनी कहानियां

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को जब आधी दुनिया सो रही थी तो हिन्दुस्तान अपनी नियती से मिलन कर रहा था। 15 अगस्त के ही दिन भारत के साथ 5 और देशों को आजादी मिली थी। भारत के साथ ही साउथ कोरिया, नॉर्थ कोरिया, कांगो, बहरीन और लिकटेंस्टीन ने 15 अगस्त को आजादी हासिल की थी। वहीं 14 अगस्त को  भारत से टूटकर बना पाकिस्तान भी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। भारत विविधताओं से भरा देश है। भारत जहां कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी अर्थात् हमारे देश भारत में हर एक कोस की दुरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानि वाणी भी बदल जाती है। जब जीरो दिया था भारत ने दुनिया को तब गिनती आई थी।

दुनिया की सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता की शुरुआत 3300 ईसा पूर्व हुई थी। भारत के अतीत की सबसे पहली तसवीर उस सिंधु घाटी सभ्यता में मिलती है, जिसके अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले। मोहनजोदड़ो और हड़या एक दूसरे से काफ़ी दूरी पर हैं। दोनों स्थानों पर इन खंडहरों की खोज मात्र एक संयोग थी। इस बात में संदेह नहीं कि इन दोनों के बीच भी ऐसे ही बहुत से और नगर एवं अवशेष दबे पड़े होंगे जिन्हें प्राचीन मनुष्य ने बसाया होगा। यह सभ्यता विशेष रूप से उत्तर भारत में दूर-दूर तक फैली थी।

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वर्ष 2019 को संयुक्त राष्ट्र की स्थानीय भाषा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है। वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मंच पर स्थानीय मुद्दों के संदर्भ में दी गई जानकारी के अनुसार, दुनिया भर में बोली जाने वाली लगभग 6,700 भाषाओं में से 40% गायब होने के कगार पर हैं। प्रशांत द्वीप राष्ट्र के पापुआ न्यू गिनी में दुनिया की सबसे अधिक ’स्वदेशी भाषाएँ (840) बोली जाती है, जबकि भारत 453 भाषाओं के साथ चौथे स्थान पर है।

भारत ने कभी भी उस भूमि पर दावा नहीं किया जो दूसरों की है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नेपाल जैसे देश नक्शा जारी कर कुछ भी दावे करे। चाहे देश की सीमाओं को लेकर कितनी भी लकीरें खींची जाए। या फिर चीन जैसा देश कितनी उकसावे वाली नीति अपना ले। भारत ने आज तक न ही किसी की भूमि पर कोई कब्जा किया है और न ही पहले किसी देश पर हमला किया है। भारत युद्ध नहीं बल्कि शांति की नीति पर चलता है।

जिन्ना को थी अपने सिगार की चिंता

जब बंटवारे की घोषणा हुई तो सबसे पहले लोग बैंकों की ओर भागे। केवल कराची से ही बैंकों से कुल 6 करोड़ की राशि की निकासी हुई। जिन्ना को दुनिया में उन नेताओं में गिना जाता है, जो आखिरी समय तक लग्जरी वाली जिंदगी बिताते रहे। उन्हें अच्छा पहनने, खाने और नफासत का खास खयाल रहा। जब देश में दंगे फसाद हो रहे थे उस वक्त भी जिन्ना को अपने सिगार की फिक्र थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने देहरादून के किसी यूनुस को चिट्ठी लिखी और पूछा कि उनके सिगार के  डिब्बे कहां हैं? 

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