इस दिन भूलकर भी ना करें चंद्रमा के दर्शन

भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी दिनांक 31 अगस्त को मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। प्रत्येक महीने की दोनों पक्ष शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी गणेश जी को प्रिय हैं। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए साधक अपनी अपनी श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं।

करवा चौथ एवं संकट चतुर्थी में चंद्र दर्शन का बहुत ही महत्व है, लेकिन गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन करना निषेध माना गया है। पुराणों में आख्यान है कि जब भगवान शिव ने गणेश जी के सिर पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया था। उस समय चंद्रमा ने उनका उपहास किया था।

उस दिन गणेश चतुर्थी थी। अपने उपहास के कारण गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज का दिन तुम्हारे लिए कलंक का दिन होगा। गणेश चतुर्थी को तुम्हें कोई नहीं देखेगा। इस दिन तुम्हें जो भी व्यक्ति देखेगा, उसे कोई ना कोई झूठा आक्षेप या कंलक लग जाएगा। 

इस शाप से घबराकर उससे मुक्ति के लिए चंद्रमा ने शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने कहा कि गणेश जी के शाप को मैं भी नहीं काट सकता हूं, किन्तु इसका समाधान है कि यदि किसी व्यक्ति को भूल से भी चंद्रमा का दर्शन हो जाए तो गणेश वंदना,गणेश स्तुति, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

द्वापर युग में भी श्रीकृष्ण भगवान को भी चतुर्थी के चंद्रमा के दर्शन करने से भी कलंक लग गया था। उनके ऊपर स्यामन्तक मणि चुराने का आरोप लग गया था। इसलिए गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए।

यदि भूलवश चंद्रमा का उस दिन दर्शन हो जाए तो पत्थर या कंकड उठाकर चंद्रमा की ओर फेंक देना चाहिए। इसलिए इसे पत्थर चौथ या कलंक चौथ भी कहते हैं। उसके पश्चात रात्रि को भगवान गणेश जी की वंदना और स्तुति करते हुए प्रार्थना करें तो उस दोष से निवृत्ति मिल जाती है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker