मोसाद में 2 महिलाओं को टॉप पोजिशन में तैनात कर इजरायल ने ईरान को दिया बड़ा सदमा

दिल्लीः दुनियाभर में अपने खौफनाक और हैरतअंगेज कारनामों के लिए जाने जानी वाली इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हाल ही में अपने दो अहम पोस्ट पर महिलाओं की नियुक्ति कर बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया. मोसाद ने दोनों महिलाओं की पहचान छुपाने के लिए उन्हें कोड नेम दिए. जहां कोड नेम ‘ए’ को मोसाद के इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया है, वहीं दूसरी ओर कोड नेम ‘के’ को ईरान डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया है.

इन दोनों x महिलाओं की तैनाती के साथ ही मोसाद का नेतृत्व करने वाली एक्सक्यूटिव फोरम में अब चार महिलाए हैं. कोड ‘ए’ नाम की महिला मोसाद में बीते बीस साल से काम कर रही है और उसे ईरान की एटमी डील सहित अंतर्राष्ट्रीय आंतकवाद और अरब देशों के साथ संबंध सामान्य होने संबंधी मुद्दों की जिम्मेदारी दी गई है.

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी है मोसाद

दुनिया भर में खौफ का दूसरा पर्याय माने जाने वाली मोसाद का सालाना बजट 3 बिलियन डॉलर बताया जाता है और इसमें करीब 7 हजार लोग काम करते हैं. मोसाद की स्थापना 1940 में इजरायल के संस्थापक और पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने की थी. उस समय इसका उद्देश्य यहूदियों को बचाने और अरब दंगाइयों पर हमला करने के लिए हुआ था.

ईरान में कई हैरतअंगेज मिशन को अंजाम दे चुका है मोसाद

नवबंर 2020 में ईरान के प्रमुख एटमी साइंटिस्ट मोहसेन फकीजेद्दार की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से रिमोट कंट्रोल मशीन गन से हमला कर हत्या की गई थी. इससे पहले जनवरी 2018 में तेहरान से 30 किलोमीटर दूर एक स्टोरेज फैसिलिटी में चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया. सात घंटों से कम के समय में 32 में 27 सेफ के तालों को गलाया गया, जिसके बाद चोरी छिपे गायब हुए खुफिया एटमी दस्तावेज दो महिने बाद 2 हजार किलोमीटर दूर इजरायल के तेल अबीव में देखे गए. ईरान का एटमी कार्यक्रम इजरायल के लिए आज की तारीख में सबसे अहम है. इजरायल की सेना के ईरान के एटमी ठिकानों को बर्बाद करने की योजना बनाने की खबरें अक्सर आती रही हैं.

महिला जासूसों का इतिहास

सदियों से दूसरे देशों और राजाओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए महिला जासूस का इस्तेमाल होता रहा है. माता हारी, नेंसी वेक, इथेल रोजनबर्ग,अन्ना चैंपमैन, जोसफिन बेकर दुनिया की विख्यात महिला जासूस रही हैं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हजारों महिला जासूसों ने जर्मनी के खिलाफ काम किया. इन महिलाओं ने फायरिंग स्क्वॉड और जर्मनी के जासूसी करते हुए पकड़े जाने के डर की चिंता करे बिना अपने काम को बखूबी अंजाम दिया. आज दुनिया भर में खुफिया एजेंसियों में काम करने वाली महिला जासूसों की संख्या का अनुमान लगाना संभव नहीं है, लेकिन इजरायल ने मोसाद में दो महिलाओं को टॉप पोजिशन देकर उन्हें काम को सम्मान देने की राह में उचित कदम जरुर उठाया है.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker