कल है बुध प्रदोष व्रत, पढ़ें शिव पूजा के समय यह व्रत कथा

दिल्लीः भाद्रपद माह का बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) 24 अगस्त दिन बुधवार को है. इस दिन प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं और शिव मंत्रों का जाप करते हैं. इस दिन पूजा के समय बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनने या पढ़ने का विशेष महत्व है. इस कथा को पढ़ने से व्रत पूर्ण होता है और इस व्रत का महत्व भी पता चलता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि बुघ प्रदोष व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और इस व्रत में पूजा के समय हरी वस्तुओं का उपयोग करना कल्याणकारी होता है. आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत की कथा के बारे में.

बुध प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक व्यक्ति का विवाह हुआ था, उसके तीसरे दिन ही उसकी पत्नी अपने मायके चली गई. काफी दिन बीतने के बाद उसका पति ससुराल पहुंचा. उस दिन बुधवार था. वह पत्नी को अपने साथ घर चलने के लिए कहा. युवती के घरवालों ने बुधवार को विदाई करने से मना कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि बुधवार को लड़की की विदाई करना शुभ नहीं होता है.

वह व्यक्ति नहीं माना और पत्नी को साथ लेकर घर के लिए निकल पड़ा. शहर से बाहर जाते ही उसकी पत्नी को प्यास लगी. वह पानी की तलाश में गया और उसकी पत्नी एक पेड़ की छांव में बैठ गई. काफी समय बाद वह व्यक्ति आया तो देखा कि उसकी पत्नी किसी से हंसकर बातें कर रही है और पानी पी रही है.

वह गुस्से में जब उसके पास पहुंचा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. उसे अपने हमशक्ल को वहां पर देखा. उसकी पत्नी भी उसे देखकर हैरान हो गई. दोनों व्यक्ति झगड़ने लगी, भीड़ लग गई और पुलिस भी आ गई. पुलिस ने अचरज में पड़ गई.

पुलिस ने युवती से पूछा कि तुम्हारा पति कौन है? इधर उसका पति मन ही मन भगवान शिव को याद कर कहने लगा कि ससुराल वालों की बातें मान लिया होता तो इस संकट में नहीं फंसता. हे प्रभु! अब भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी.

कुछ समय बाद उसने देखा कि उसका हमशक्ल वहां से गायब हो गया. वह पत्नी को साथ लेकर घर पहुंचा. वे दोनों हर माह त्रयोदशी व्रत करने लगे. उनके जीवन का संकट दूर हो गया और उस व्यक्ति की मनोकामना भी पूर्ण हो गई थी.

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