क्या है ‘कंकाली मंदिर’ का रहस्य? आज भी पूरी होती है मन्नतें

दिल्लीःइन देवी की कृपा से किया था कृष्ण ने कंस का वध.

ब्रज नगरी मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की पग-पग पर लीलाओं के किस्से सुनने और देखने को मिलते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने यहां ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाकर इंद्र का मान मर्धन किया था, तो कभी कंस का वध कर ब्रजवासियों को मामा कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई था. भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला का साक्षी है मथुरा का कंकाली मंदिर. मां कंकाली को कंस काली के नाम से भी पुकारा जाता है. आज हम आपको बताते हैं कि क्या है मां कंकाली मंदिर की मान्यता और क्या है भगवान श्रीकृष्ण से संबंध?

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मां कंकाली मंदिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि आकाशवाणी द्वारा कंस को जब पता चला कि देवकी और वासुदेव के पुत्र के द्वारा उसका वध किया जाएगा तो वह काफी डर गया और इस डर से कंस ने वासुदेव और माता देवकी को बंदी बना कर कारागार में डाल दिया था.

कंस ने माता देवकी की 7 संतानों की हत्या कर दी थी. लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण का 8वीं संतान के रूप में जन्म हुआ तो कृष्ण के पिता वासुदेव जी उन्हें गोकुल छोड़ आए और वहां से योगमाया को अपने साथ लेकर आ गए थे. भगवान वासुदेव जी ने श्रीकृष्ण की जगह योगमाया को रख दिया. जैसे ही कंस को 8वीं संतान होने की खबर मिली कंस योगमाया को मरने आ गया और योगमाया को माता देवकी से छीन कर कारागार में ही एक शिला पर पटक दिया. लेकिन योगमाया कंस के हाथ से छूटकर आकाश में चली गईं. इस दौरान योगमाया ने आकाशवाणी करते हुए कहा कि, अरे मूर्ख तू मुझे क्या मारेगा तुझे मारने वाला तो इस धरती पर आ चुका है. इतना कहकर योगमाया 3 हिस्सों में बिखर गईं. इसी क्षण से योगमाया कंकाली मंदिर में मां काली, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी के रूप में विराजमान हैं.

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