PMLA पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई नेताओं की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, रुके हुए जांच में आएगी तेजी
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को एक तरह से सरकार के लिए बड़ी राहत और विपक्ष के लिए झटका बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कई नेताओं की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। वहीं कुछ हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग आरोपियों के मामले में भी मंद पड़ी कार्रवाई रफ्तार पकड़ सकती है। जिसमें कांग्रेस के लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम, उनके पिता पी चिदंबरम, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उद्योगपति शिविंदर मोहन सिंह के अलावा अन्य राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों शामिल हैं जिनके जांच में तेजी आ सकती है।
इनमें से कई मामलों में जांच और सुनवाई लगभग रुक गई थी क्योंकि एजेंसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा कर रही थी जिसमें उसके कई प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। इसके अंतर्गत गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की अपनी शक्तियों से निपटने और केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर)की प्रति साझा करने से संबंधित थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया और ईसीआईआर की प्रति प्रदान नहीं करने के लिए पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय की संवैधानिक शक्तियों को मान्य किया। कुछ आरोपियों ने हलफनामा दाखिल करने से छूट की मांग की थी।