राजभर ने कहा था सपा से गठबंधन टूटने के बाद हमारी प्राथमिकता बहुजन समाज पार्टी है

दिल्लीः
उत्तर प्रदेश की सत्ता में दूसरी बार योगी सरकार के आने के बाद से ओपी राजभर (OP Rajbhar) के तेवर ढीले पड़ गए हैं. अखिलेश यादव से बढ़ती दूरियों के बीच राजभर की बीजेपी के साथ नजदीकियां भी बढ़ती दिख रही हैं, जिसका पहला संकेत उन्होंने सीएम योगी के डिनर पार्टी में शामिल होकर दिया था. द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के लिए लखनऊ में योगी द्वारा आयोजित रात्रि भोज में भी ओपी राजभर भी पहुंचे थे और अमित शाह से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने समर्थन का ऐलान किया था. इसके बाद से ही राजभर ने बीजेपी को लेकर नरम रुख अपनाए रखा तो अखिलेश को लेकर निशाना साधना और तेज कर दिया था.
राजभर ने कहा था कि सपा से गठबंधन टूटने के बाद हमारी प्राथमिकता बहुजन समाज पार्टी है. जब बसपा से बात नहीं बनेगी तो किसी और से बात होगी. बता दें कि ओपी राजभर ने यूपी विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के साथ मिलकर लड़ा था. राजभर की पार्टी सुभासपा को विधानसभा चुनाव में छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी. उधर, राष्ट्रपति चुनाव नतीजे के दूसरे दिन ही योगी सरकार ने सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा देने का ऐलान किया है. राजभर और बीजेपी के बीच मधुर हो रहे रिश्तों के चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि 2022 के चुनाव के बाद से ही राजभर को लेकर तमाम तरह से कयास लगाए जा रहे हैं.
उधर, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि पिछले कुछ समय में अखिलेश के राजनीतिक निर्णयों में गंभीरता की कमी रही है. दूरदर्शिता का अभाव और दिशाहीनता दिखी है. उनकी पार्टी अन्य विपक्षी दलों से भी तालमेल नहीं बना पा रही है. ऐसे मे उनके सहयोगी दल भी उनके साथ बने रहने पर पुनर्विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय मे यह समाजवादी पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकता है.
इससे पहले सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने कहा, “सीएम योगी की इमानदारी में कोई प्रश्न नहीं उठा सकता है. वे एक कर्मठ नेता हैं और उनके काम में कोई कमी नहीं है. इसी वजह से उनकी चर्चा शिवपाल सिंह यादव के साथ ही अन्य लोग करते हैं. वहीं, यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव-राजभर की जोड़ी ने पूर्वांचल के कई जिलों में बीजेपी मात ही नहीं दी थी बल्कि खाता तक नहीं खुलने दिया था. ऐसे में बीजेपी की नजर चुनाव के बाद से ही राजभर पर है, जिन्हें अपने खेमे में लाने के लिए सियासी पिच तैयार तैयार की जा रही है. ये कवायद दोनों ओर से हो रही है.