इस साल बाघ ने ली 11 जाने, क्या बाघ ही है विलेन ?
दिल्लीः
चार दिन भी नहीं हुए कि एक बाइक पर जा रहे एक शख्स को बाघ खींचकर ले गया. बाघ के शिकार हुए इस व्यक्ति का एक हाथ एक दिन बाद मिला, तो उसके अगले दिन दूसरे हाथ का कंकाल भी. कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व इलाकों में इन दिनों आदमखोर बाघों की दहशत फैली हुई है. इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आंकड़े ये हैं कि इस साल जुलाई तक बाघों के हमलों में उत्तराखंड में 11 जानें जा चुकी हैं. ये आंकड़े चौंकाऊ इसलिए हैं क्योंकि पिछले साल की तुलना में 5 और पांच साल पहले की तुलना में दोगुनी मौतें हो चुकी हैं.
इन आंकड़ों और इन पर विशेषज्ञों की राय भी आपको बताएंगे, पहले ताज़ा घटना देखें. मोहान के पास से शनिवार देर शाम NH-309 पर एक बाइकसवार को बाघ खींच कर ले गया, तो हड़कंप मच गया. रविवार को इस शख्स के एक हाथ के अवशेष मिले तो सोमवार को दूसरे हाथ के कंकाल और हथेली मिली. इस घटना के बाद से ही क्षेत्र में डर का माहौल है. ग्रामीण यहां अभी भी 3 बाघों का आतंक बता रहे हैं, जबकि कॉर्बेट प्रशासन 2 बाघों का.
वन विभाग ने पिंजरे लगाने के दावे करते हुए अब दूसरे बाघ को भी पकड़ने की बात कही है, तो ग्रामीण इस तरह के रवैये को विभाग की औपचारिकता मात्र करार दे रहे हैं. इस पूरे एपिसोड के बीच कुमाऊं में बाघ के आतंक के बारे में समझा जाए, तो हालात बड़े चिंताजनक दिख रहे हैं. 2020 में जहां टाइगर अटैक में कोई जान नहीं गई थी, वहीं इस साल सात महीनों से भी कम अवधि में 11 जानें जाना विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन गया है.
बाघ या बड़े पैमाने पर वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच इस संघर्ष को लेकर इस साल लगातार खबरें रही हैं. पिछले दिनों तक एक आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए छह महीनों का सर्च अभियान चर्चा में रहा, तो कभी बाघ के हमले में वन विभाग के ही अधिकारी की मौत भी. लेकिन एक्सपर्ट कह रहे हैं कि इस नतीजे पर पहुंच जाना कि बाघ आदमखोर है, यह जल्दबाज़ी होगी अगर आपने सारे तथ्य नहीं खंगाले हैं.