मंगल ग्रह पर बादलों की पहचान करने और उन्‍हें टटोलने के लिए नासा ने लांच किया प्रोजेक्ट

दिल्लीः चांद और मंगल से जुड़ी जानकारियां हमेशा से ही वैज्ञानिकों और हमारे लिए दिलचस्प रहे हैं. मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को तलाशने के लिए दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां अपने मिशन चला रही हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और चीन की स्‍पेस एजेंसी इसमें सबसे आगे हैं. नासा के वैज्ञानिक मंगल ग्रह के वायुमंडल से जुड़ा एक रहस्‍य सुलझाने में जुटे हैं. खास बात यह है कि इसमें आप भी उनकी मदद कर सकते हैं.

इसके लिए नासा ने अपने सिट‍ीजन साइंस प्‍लेटफॉर्म जूनिवर्स (Zooniverse) पर एक प्रोजेक्‍ट ऑर्गनाइज किया है. ‘क्लाउडस्पॉटिंग ऑन मार्स’ नाम के इस प्रोजेक्‍ट में लोगों को मंगल ग्रह पर बादलों की पहचान करने का मौका मिलता है. नासा का मानना है कि लोगों ने लिए उन्‍हें आंखों से पहचानना आसान है.

माना जाता है कि अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर झीलें और नदियां हुआ करती थीं. उस समय मंगल ग्रह का वातावरण मोटा था. वैज्ञानिक समझना चाहते हैं कि वक्‍त के साथ ग्रह ने अपना वातावरण कैसे गंवा दिया. अगर आप नासा के वैज्ञानिकों की इस प्रोजेक्‍ट में मदद करना चाहते हैं या खगोलविज्ञान में दिलचस्‍पी रख सकते हैं, तो इस लिंक https://www.zooniverse.org/projects/marek-slipski/cloudspotting-on-mars पर क्लिक करके प्रोजेक्‍ट को जॉइन कर सकते हैं.

मंगल ग्रह पर बादलों की पहचान करने और उन्‍हें टटोलने के लिए नासा के पास 16 साल का डेटा है. इस डेटा को मार्स रीकानिसन्स ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) (MRO) ने जुटाया है. यह साल 2006 से मंगल ग्रह पर स्‍टडी कर रहा है. इस ऑर्बिटर के इंस्‍ट्रूमेंट ने मंगल की कई तस्‍वीरें ली हैं. इनमें बादल आर्च की तरह दिखाई देते हैं. नासा की टीम इन आर्च को चिह्नित करने के लिए पब्लिक की मदद ले रही है.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker