थमने का नाम नहीं ले रहा खाद्य विभाग में ट्रांसफर विवाद

दिल्लीः खाद्य विभाग में अफसरों के तबादलों पर छिड़ी रार में जहां विभागीय मंत्री रेखा आर्य का पक्ष पूरी तरह सही नहीं है वहीं सचिव एवं आयुक्त सचिन कुर्वे ने भी नियम तोड़ा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने शुक्रवार को मंत्री और अफसर के बीच विवाद की पड़ताल की तो यह बात सामने आई।  

तबादला ऐक्ट के अनुसार,तबादले को मंत्री के अनुमोदन की जरूरत नहीं है। खासकर समूह‘ख’स्तर के अफसरों के मामले में विभागीय स्थायी समिति की सिफारिश के आधार पर विभागाध्यक्ष ही फैसला ले सकता है।

दूसरी तरफ, खाद्य आयुक्त के रूप में कुर्वे को डीएसओ के तबादले का हक है, लेकिन उन्होंने तबादला टाइम टेबल का उल्लंघन करते हुए जो जल्दबाजी दिखाई, वो सवाल उठाने वाली है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब मंत्री ने सचिव को नैनीताल के डीएसओ मनोज वर्मन को फोर्स लीव पर भेजने का आदेश निरस्त करने को कहा।

इसके बाद वर्मन का आदेश निरस्त होने के बजाए छह डीएसओ के तबादले के आदेश जारी हो गए। यहीं से मुद्दे ने तूल पकड़ा। मंत्री ने सचिव पर उनके आदेश की नाफरमानी का आरोप लगाते हुए शिकायत की है। अब विभाग में सीएम के लौटने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। सीएम को इस मामले में निर्णय लेना है।

स्थानांतरण के लिए यह है व्यवस्था
तबादला ऐक्ट के बिंदु 21 में तबादले के अधिकार तय किए गए हैं। इसके अनुसार समूह ‘क‘ के अधिकारियों के तबादले, शासन स्तर पर बनी समिति की संस्तुति के आधार पर तय होंगे। समूह ‘ख’ के अफसरों के तबादले, तबादला समिति की सिफारिश पर संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष यानी एचओडी द्वारा किए जाएंगे।

ऐक्ट में यह भी प्रावधान है कि जिस विभाग में एचओडी नहीं होगा, वहां समूह ख के अफसरों के तबादले, तबादला समिति की सिफारिश के आधार पर शासन के स्तर पर किए जा सकते हैं। ऐसे में मंत्री की, तबादले के लिए पहले अनुमोदन लेने की बात का औचित्य नहीं है।

तबादलों में जल्दबाजी से उठ रहे सवाल
इस साल तबादला सत्र के लिए आठ अप्रैल को तत्कालीन कार्मिक सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने टाइम टेबल तय किया था। इसके तहत एक मई तक तबादला समितियों का गठन होना था। 15 मई तक अनिवार्य तबादले के दायरे में आ रहे कार्मिकों की लिस्ट सार्वजनिक की जानी थी।

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