खेत में मिले 4000 साल पुराने हथियार, लोगो का दावा इन्ही से लड़ा गया था महाभारत का युद्ध, जाने कितनी सचाई ?

दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एक खेत से मिले चार हजार साल पुराने हथियारों ने पुरातत्वविदों की उत्सुकता बढ़ा दी है. इन हथियारों को भगवान श्रीकृष्ण काल यानी द्वापर युग का बताया जा रहा है. तांबे के हथियारों की जांच के बाद जो शोध परिणाम आए हैं, उससे आर्कियोलॉजिस्ट काफी रोमांचित हैं. प्राचीन काल में भी भारतीय लड़ाकों के पास उन्नत हथियार थे, इसका पता चलता है. लड़ाके बड़े हथियारों से लड़ाई करते थे. वे बड़ी तलवारों का इस्तेमाल करते थे. करीब चार फीट तक लंबे हथियार उस समय होते थे. हथियार काफी तेज और सोफिस्टिकेटेड आकार के होते थे. स्टारफिश के आकार के हथियारों का प्रयोग किया जाता था.

सवाल यह भी है कि क्या इन हथियारों का प्रयोग कुरुक्षेत्र में हुई महाभारत की लड़ाई में भी प्रयोग किया गया था? इन सवालों के जवाब शोध के बाद ही मिलेंगे। बहरहाल, आर्कियोलॉजिस्टों ने हथियारों की जांच के बाद इसे ‘रोमांचक’ करार दिया है.

दरअसल, जून के शुरुआत में मैनपुरी के गणेशपुर गांव में एक किसान अपने दो बीघा खेत की जुताई करा रहा था. कई स्थानों पर खेत के ऊबड़-खाबड़ होने के कारण उसे समतल करा रहे थे. खुदाई कराए जाने के दौरान खेत से तांबे की तलवारें और हार्पून मिले. किसान उन सभी हथियारों को अपने घर ले गया. उसे लगा कि ये सभी हथियार सोने या चांदी से बनी कीमती धातुओं की हैं. हालांकि, खेत से हथियार मिलने की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई और किसी ने इस संबंध में स्थानीय पुलिस को सूचित कर दिया. इसके बाद यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संज्ञान में आया. उसने इन हथियारों को किसान से हासिल कर इसकी जांच कराई.

एंटीना तलवारों की दी गई उपाधि
किसान की खेत से मिले हथियारों की जांच के बाद कुछ पुरातत्वविदों ने इसे एंटीना तलवारों और हार्पून की उपाधि दी. इसके नीचे एक हुक लगा हुआ था. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक खेत के नीचे संयोग से 4000 पुराने तांबे के हथियार मिले हैं. हथियारों के इस संग्रह के गहन अध्ययन से यह द्वापर युग का लगता है. एएसआई के आर्कियोलॉजी के निदेशक भुवन विक्रम का दावा है कि तांबे के ये हथियार ताम्र पाषाण काल (कॉपर एज) के बताए जा रहे हैं. गेरू रंग के बर्तनों (ओपीसी) के रहने के कारण यह काफी हद तक साबित होता है. कांसा हड़प्पा काल की एक बड़ी विशेषता थी. इसे मूल रूप से तांबे के युग की एक शहरी सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है. हालांकि, अध्ययनों से पता चला है कि इस प्रकार के हथियार मुख्य रूप से तांबे से बने होते थे. इनमें कांसे का प्रयोग नहीं होता था.

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