हर किसी की निगाहें महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर टिकी

दिल्लीः महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ी से बदल रही है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. शिवसेना के बागी नेता एकनाथ सिंदे ने 40 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है. ऐसे में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि ठाकरे की सरकार अब अल्पमत में आ गई है. लिहाज़ा अब हर किसी की निगाहें महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर टिकी हैं. क्या वो विधानसभा को भंग करने का फैसला लेंगे? या फिर पूरा मामला फ्लोर टेस्ट तक पहुंचेगा. आईए इस कानूनी दांव-पेंच को विस्तार से समझते हैं.

राज्यपाल के अधिकार को समझने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर फ्लोर टेस्ट क्या है. ये एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिससे ये फैसला किया जाता है कि मौजूदा सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नहीं. यहां राज्यपाल किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. लेकिन इस मामले में राज्पाल और विधानसभा स्पीकर के अधिकारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है.

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
अनुच्छेद 174 (2) (बी) में भी कई कानूनी दांव पेंच हैं. साल 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर कई अहम टिप्पणियां की थी. ये मामला मध्यप्रदेश विधानसभा और शिवराज सिंह चौहान को लेकर था. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने के अधिकर को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था कि अगर प्रथम दृष्टया उन्हें लगता है कि सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है तो वो फ्लोट टेस्ट के लिए बुला सकते हैं. साथ ही जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की दो-जजों की बेंच ने कहा था, ‘राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का आदेश देने की शक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है. अगर राज्यपाल को लगता है कि सरकार के पास सदन में संख्या बल कम है तो वो चाहे तो फ्लोट टेस्ट के लिए बुला सकते हैं.’

मध्य प्रदेश में भी ऐसे ही बने थे हालात
अनुच्छेद 175 (2) के तहत राज्यपाल भी सदन को फ्लोर टेस्ट साबित करने के लिए बुला सकता है. एक विस्तृत फैसले में सुप्रीप कोर्ट ने राज्यपाल की शक्ति के दायरे और फ्लोर टेस्ट के बारे में बताया था. साल 2020 में मध्य प्रदेश के राज्यपाल को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा थ. ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से विधानसभा भंग करने के लिए कहा था. राज्यपाल ने इसके बजाय फ्लोर टेस्ट का आह्वान किया.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker