मेरठ: गंगानगर में पकड़ा गया फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज

दिल्लीः

मेरठ के गंगानगर में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़ा गया है। इस एक्सचेंज में मिले सिम कार्ड बिहार से लाए गए थे। जबकि, उन्हें चलाने के लिए केरल के एक्सचेंज का इस्तेमाल किया जा रहा था। BSNL के अधिकारी जांच कर रहे हैं कि टेलीकॉम कंपनी को अब तक कितना नुकसान हो चुका है।

ये एक्सचेंज इंटरनेशनल कॉल से मुनाफा कमाते हैं। अमूमन 10 से 12 रुपए के बीच होने वाली विदेशी कॉल ये एक्सचेंज सिर्फ एक से दो रुपए में करवा रहे थे। ये लोग ब्रॉडबैंड इंटरनेट से लोकल कॉल को इंटरनेशनल कॉल में बदल रहे थे। इसमें कॉल करने वाले को अंदाजा ही नहीं होता था कि वो फर्जी एक्सचेंज के जरिए कॉल कर रहा है।

इस पूरे मामले से पर्दा BSNL के डीजीएम राकेश चौधरी ने उठाया। उन्होंने SSP प्रभाकर चौधरी की मदद से गंगानगर में बक्सर के पास तिलकपुरम में छापामारी करवाई। यहां एक इमारत की तीसरी मंजिल पर फर्जी एक्सचेंज चलता मिला। यहां से SOG की टीम ने मवाना के मोहम्मद शमी को हिरासत में लिया। जबकि, एक साथी भाग निकला। पूछताछ में सामने आया कि फरवरी 2022 से ये एक्सचेंज चल रहा था।

SP क्राइम अनित कुमार के अनुसार यहां 187 सिम कार्ड मिले। ये सिम बिहार से खरीदे गए थे। सभी अलग-अलग आईडी पर मिले हैं। इनमें 167 BSNL और अन्य सिम एयरटेल कंपनी के हैं। ट्रेस करने पर सामने आया फर्जी कॉल के लिए केरल के एक्सचेंज का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसकी जांच सर्विलांस एक्सपर्ट को दी गई है। पुलिस को मौके से सिमकार्ड के अलावा लैपटॉप, इंटरनेट कनेक्शन, सिम बॉक्स, राउटर और अन्य उपकरण मिले हैं।

शमी 2 साल तक सऊदी के एक टेलीफोन एक्सचेंज में काम कर चुका है। लॉकडाउन लगने से पहले वो मेरठ वापस आया था। वो अपने दोस्त मोहसिन खान के साथ मिलकर मेरठ में फर्जी एक्सचेंज तैयार किया। इसमें ज्यादातर इनकमिंग कॉल खाड़ी देशों से आई हैं। वहीं, आउटगोइंग कॉल ज्यादातर यूपी, बिहार, पंजाब में मिली हैं।

हर महीने करीब 10 हजार कॉल की जाती थी। विदेश से आने वाली ISD कॉल को भी सामान्य कॉल में डायवर्ट किया जा रहा था। अब पुलिस मोहसिन की तलाश कर रही है, जो IT का एक्सपर्ट बताया गया है

इस निजी सर्वर एक्सचेंज पर दुबई, सऊदी अरब और कतर के कॉल आ रहे थे। विदेशी कॉल को सिम बॉक्स के जरिए ट्रांसफर कर बात कराई जाती थी। विदेश से बात करने वाले को भारत के अंदर कॉल करने का जो रेट होता था, उतने पैसे ही देने पड़ते थे। इससे सबसे ज्यादा नुकसान भारत संचार मंत्रालय को हो रहा था। जिन कॉल को ट्रांसफर किया जाता था, उनके बारे कोई रिकार्ड नहीं होता।

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