अमेरिका के अलेक्जेंडर वांग बने सबसे युवा अरबपति,
दिल्लीः
फोर्ब्स मैगजीन ने हाल ही में अमेरिका के अलेक्जेंडर वांग को दुनिया का सबसे युवा सेल्फ-मेड अरबपति घोषित किया है। 25 साल के एशियाई मूल के अलेक्जेंडर की अरबपति बनने की कहानी उनकी उम्र जितनी ही छोटी है। गणित में रुचि थी, इसलिए कक्षा छठी से नेशनल मैथ्स और कोडिंग कॉम्पिटिशन में शामिल होते रहे, ताकि डिज्नी वर्ल्ड का फ्री टिकट मिल सके। वे कॉम्पिटिशन तो नहीं जीत सके, लेकिन इससे उनमें कोडिंग को लेकर दिलचस्पी पैदा हो गई।
महज 17 साल की उम्र में सवालों के जवाब देने वाली वेबसाइट क्वोरा के लिए फुल टाइम कोडिंग करने लगे। इस बीच, मशीन लर्निंग सीखने के लिए MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में दाखिला लिया। एक साल पढ़ाई के बाद गर्मी की छुट्टी में ही लुसी ग्युओ के साथ मिलकर ‘स्कैल एआई’ कंपनी शुरू कर दी। फोर्ब्स के अनुसार, दोनों की मुलाकात क्वोरा में हुई थी।
फंडिंग मिलने के बाद कभी कॉलेज नहीं लौट पाए
MIT की पढ़ाई बीच में छोड़कर कंपनी शुरू करने का फैसला वांग के लिए आसान नहीं था। माता-पिता उनकी पढ़ाई छुड़ाने के लिए राजी नहीं थे। वांग कहते हैं, ‘मैंने उन्हें समझाया कि मैं हर बार गर्मियों में जो काम करता रहा हूं, वहीं करूंगा। कॉलेज शुरू होते ही यह छोड़ दूंगा।’ ऐसा नहीं हुआ। वांग की कंपनी काे फंडिंग मिल गई और वे कभी कॉलेज नहीं लौट पाए।
हालांकि, वांग की शुरुआती सफलता देखने के बाद माता-पिता ने उन्हें प्रोत्साहित किया। विज्ञान और गणित में दिलचस्पी वांग काे बचपन से मिली। उनके भौतिकशास्त्री माता-पिता अमेरिका की नेशनल लैब में सेना के लिए हथियार बनाने के प्रोजेक्ट पर काम करते थे। इसी लैब में अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के लिए पहला परमाणु बम बनाया था। वांग भी अब AI की बदौलत सेना की मदद कर रहे हैं।
6 साल पहले शुरू की कंपनी, AI के जरिये सेना की मदद करते हैं
वांग ने 6 साल पहले कंपनी शुरू की थी। तब से 847 करोड़ रुपए के तीन कॉन्ट्रैक्ट कर चुके हैं। समय-समय पर अमेरिका की एयर फोर्स और आर्मी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए मदद करते हैं। पिछले साल 2,500 करोड़ रु. की फंडिंग मिलने के बाद कंपनी ने 770 करोड़ रु. का राजस्व हासिल किया। कंपनी का मूल्य बढ़कर 56,210 करोड़ रुपए हो चुका है। वांग की हिस्सेदारी 15% की है, जो करीब 7,700 करोड़ रु. के बराबर है।