जिम्मेदार अफसरों को प्रसूताओं का नही है ख्याल

इंदौर। दिल्ली के एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का बड़ा बयान आया है कि भारत में तसरी लहर आने की आशंका अब न के बराबर है। कोरोना अब महामारी नहीं रहा सिर्फ आम खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी बीमारी की तरह होगा।

वैसे अभी शहर में डेंगू ने पैर पसार रखे हैं। आश्चर्य इस बात का है कि संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा और मेडिकल कॉलेज डीन ने करोड़ों रुपए की लागत से बने 430 बेड के एमटीएच अस्पताल पर तसीर लहराने के इंतजार में ताला जड़ रखा है, जबकि प्रसूताएं व अन्य बीमार महिलाओं के लिए सिर्फ एमवाय अस्पताल खोल रखा है।

पीसी सेठी अस्पताल की हालत किसी से छुपी नहीं है, क्योंकि पीसी सेठी अस्पताल के डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी वाली प्रसुताओं को भी एमवाय अस्पताल रेफर कर देते हैं।

अब गुलेरिया का बयान आने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, यहां तक कि एनटीएच की ओपीडी को भी बंद रखा है।

यहां रोज 125 से डेढ़ सौ महिलाएं अपने इलाज के लिए आती थीं, क्योंकि इन्हें नि:शुल्क इलाज मिलता था। निजी अस्पतालों में तो खुली लुट मची हुई है जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

यहां नार्मल डिलीवरी को सिजेरियन डिलीवरी बताकर लाखों रुपए लिए जा रहे हैं। स्टाफ भी जता चुका है अपनी सहमति : सूत्रों की मानें तो एमटीएच का स्टाफ तो शुरू से ही कह रहा है कि ओपीडी शुरू कर दी जाए।

वहीं 430 बेड में से 200 बेड प्रशासन चाहे तो तीसरी लहर के लिए रख सकता है, इसके बाद भी प्रशसानिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए है ।

खास तौर पर मेडिकल कॉलेज डीन डॉक्टर संजय दीक्षित अगर यह अस्पताल शुरू हो जाता है तो प्रसूताओं को अत्याधुनिक ओटी तो मिलेगा ही वहीं एमवाय के फंगस लगी ओटी से छुटकारा भी मिलेगा।  

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