कैंसर मरीज की इम्यूनिटी मजबूत होने से थोड़ी आसान हो जाती है सर्जरी

कैंसर सहित किसी भी तरह की गंभीर बीमारी के लिये शल्य चिकित्सा कराना बेहद कठिन होता है, लेकिन अगर इससे पहले रोगी की शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जाए, तो उसके कई फायदे सामने आते हैं। इनमें रोगी का बीमारी से तेजी से उबरना जैसे लाभ शामिल हैं।

इसके अलावा ऐसा करने से सर्जरी के बाद इलाज के लिये रोगी के अस्पताल में रहने की अवधि में भी कमी आ सकती है। रोगी की शारीरिक क्षमता को बढ़ाने की इस प्रक्रिया को ‘प्रीहैबिलिटेशन” कहते हैं।

हमने कैंसर सर्जरी से पहले प्रीहैबिलिटेशन को लेकर मौजूदा अध्ययनों की समीक्षा की। इस दौरान कुल 15 अध्ययनों की समीक्षा की गई। हम यह जानना चाहते थे कि कैंसर सर्जरी के तीन अलग-अलग परिणामों में प्रीहैबिलिटेशन कार्यक्रमों का क्या असर पड़ा।

हम जानना चाहते थे कि सर्जरी के बाद रोगियों को कितने समय तक अस्पताल में रहना पड़ा। इसके अलावा हम उनकी शारीरिक हरकतों और साथ ही इस बारे में भी जानना चाहते थे कि क्या उन्हें सर्जरी के बाद दिक्कतों का सामना करना पड़ा या फिर उनकी मौत हो गई।

जिन प्रीहैबिलिटेशन कार्यक्रमों का हमने अध्ययन किया उन्हें तीन अलग-अलग समूहों में रखा गया। इसमें यह देखा गया कि क्या उन्हें व्यायाम अथवा पौष्टिक आहार या फिर दोनों की सलाह दी गई।

इसके अलावा इस पहलू को भी देखा गया कि क्या उन्हें इन दोनों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक सहयोग की भी सलाह दी गई।


इन रोगियों ने विभिन्न प्रकार का व्यायाम किया था, जिनमें एरोबिक कसरत (जैसे साइकिल चलाना या दौड़ना), वजन उठाना और अन्य प्रकार के व्यायाम शामिल थे।


 कुछ लोगों ने खेल वैज्ञानिकों या फिजियोथैरेपिस्ट की निगरानी में जबकि कुछ ने अपने आप व्यायाम किया। यह कार्यक्रम एक से चार सप्ताह तक चला।


हम पुख्ता तौर पर तो यह नहीं बता सकते कि इन कार्यक्रमों का अन्य लोगों की तुलना में प्रभावित रोगियों पर कितना असर पड़ा, लेकिन हमारा अध्ययन यह बताता है कि आमतौर पर सर्जरी से पहले किसी व्यक्ति की शारीरिक क्षमताओं को बढ़ाने से उसके ठीक होने की रफ्तार तेज हो जाती है।

इससे उनके अस्पताल में रहने की अवधि अपने आप कम हो जाती है। शारीरिक क्षमताओं को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रत्येक रोगी के लिये अलग-अलग कार्यक्रम बनाए जा सकते हैं।


सर्जरी के बाद कोई रोगी कितनी अच्छी तरह बीमारी से उबर रहा है, यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। इनमें रोगी की आयु, कैंसर का प्रकार व गंभीरता और कुशल सर्जन जैसे कारक शामिल हैं।     

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