अब ग्वालियर-चंबल ही नहीं मालवा निमाड़ में भी रेत माफिया के हौंसले बुलंद

भोपाल। प्रदेश में सक्रिय रेत माफिया के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे पुलिस प्रशासन के अलावा रेत ेकेदारों के अमले पर भी प्रणघातक हमला कर लूटपाट करने में भी पीछे नहीं रह रहे हैं।

दरअसल इस तरह के मामलों में पुलिस व स्थानीय प्रशासन का रवैया पूरी तरह से रेत माफिया के पक्ष में होता है।

मप्र का ग्वालियर-चंबल, विंध्य और मध्यभारत वाला अंचल हो या फिर बुंदेलखण्ड इन सभी में रेत माफिया ने हा हाकर पहले से ही मचा रखा है अब तो यह माफिया पूरे प्रदेश में ही पूरी ताक के साथ सक्रिय हो चुका है। इसकी बानगी है खरगोन में हाल ही में हुई घटना।

यहां रेत माफिया के लोगों ने रेत ठैकेदार के करीब आधा दर्जन लोगों को धारदार हथियारसे हमलाकर पहले घायल किया और उनके वाहन में रखे 35 हजार रुपए व मोबाइल फोन छीनकर भाग गए। खात बात यह है कि सभी घायल अस्पताल में भर्ती हैं।

इसके बाद भी पुलिस ने अब तक आरोपियों के खिलाफ प्रकरण तक दर्ज नहीं किया है। इस मामले में पुलिस महानिरीक्षक से लेकर एसपी तक से लिखित शिकायत की जा चुकी है। वारदात पांच और छ: सितम्बर की बीती रात की बताई जा रही है।

दरअसल रात में खरगौन जिले में रेत के सरकारी ठेके का संचालन करने वाले आरके गुप्ता कान्ट्रेक्टर एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थाना बलकवाड़ा इलाके में स्थित रामदेवाा ढाबा के सामने हाइवे पर निगरानी कर रहे थे, तभी अचानक लूट की नीयत से घात लगाए बैठे रेत माफिया के लोगों ने उन पर लाठी डंडों सहित अन्य धारदार हथियारों से उन पर हमला कर दिया।

हमले में कंपनी के कर्मचारी चंदू, शिव पाटीदार, कैलाश, उमेर, धरमपाल, हेमंत और खालिद गंभीर रूप से घायल हो गए। इसी दौरान आरेापी इन कर्मचारियों के वाहन में रखे 35 हजार रुपए और उनके मोबाइल लूट कर फरार हो गए।

हमला कर लूट की वारदात करने वाले आरोपियों में भाइंदा निवासी संजय जायसवाल, बिट्टू जायसवाल, राजेन्द्र खडिय़ा, रजन जायसवाल, हिरदारमा, मुदिर मुनीम और अजय बताए जाते हैं। यह सभी लोग वारदात के बाद एक वाहन में सवार होकर फरार हो गए हैं।

वारदात की खास बात यह है कि इस घटना की ठेकेदार को पहले से ही अशंका थी, जिसकी वजह से लिखित में इसकी सूचना भी पुलिस को दी गई थी। इसके बाद भी पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय बनी रही, जिसकी वजह से माफिया ने इस वारदात को अंजाम दे डाला।

आरोपी रेत माफिया के रूप में ख्यिात है और पहले भी इसी तरह की वारदात को अंजाम दे चुके हैं। दरअसल इस इलाके में अब रेत माफिया का आतंक इतना है कि रेत ठेकेदार भी उनसे भयभीत रहने लगे हैं।

पुलिस व प्रशासन की इन रेत माफियाओं से खुलकर मिली भगत रहती है, जिसकी वजह से उनके अवैध परिवहन में लगे वाहनों पर कार्रवाई तक नहीं की जाती है।

उल्लेखनीय है कि इन रेत माफियाओं के खिलाफ अगर कोई अफसर सख्ती दिखाता है तो उसका तबादला होने में समय नहीं लगता है। बताया जाता है कि इन्हें राजनैतिक संरक्षण भी मिला हुआ है।

गौरतलब है कि यही स्थिति प्रदेश में हर जगह बनी हुई है। राजधानी के समीप होशंगाबाद, ग्वाालियर चंबल अंचल की भिंड, मुरैना और छतरपुर सभी जगह पुलिस व खनिज विभाग के आला अफसरों के साथ ही सत्तारूढ़ दल के नेताओं का वरदहस्त होने की वजह से रेत माफिया कई बार तो पुलिस व प्रशासनिक अमले पर भी हमला करने से नहीं चूकता है।। इसके बाद भी शासन प्रशासन पूरी तरह से मूक दर्शक बना रहता है।  

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