हर साल बची 20 हजार की जान

भोपाल, अवसाद या क्षणिक आवेश में आत्मघाती कदम उठाने वालों के लिए त्वरित मदद किस प्रकार मददगार हो सकती है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि तत्काल मदद के जरिये हर साल औसतन 20 हजार से अधिक लोगों की जान बच गई।

यह ऐसे मामले हैं जिनमें डायल-100 की टीम मौके पर पहुंच गई थी। बीते पांच साल में एक लाख 35 हजार लोगों ने जान देने की कोशिश की थी, लेकिन इन्हें बचा लिया गया।

महिलाओं पर होने वाले अपराधों की सूचनाएं भी बड़ी संख्या में मिली है। यह आंकड़ा करीब 11 लाख रहा है। करीब एक हजार वाहनों के साथ पुलिस डायल-100 की सेवाओं का और विस्तार करने जा रही है। प्रदेश में डायल-100 की सुविधा एक नवंबर 2015 को शुरू की गई थी।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह सुविधा प्रारंभ होने से लेकर 31 जुलाई 2021 तक पांच करोड़ 96 लाख मदद की सूचनाएं पहुंची है।

इनमें से एक करोड़ 18 लाख लोगों तक सुविधाएं पहुंचाई गई है। इसके अलावा भी टीम मौके पर पहुंची लेकिन इससे पहले ही स्थानीय मदद पहुंचने के आंकड़े को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

आत्मघाती कदम उठाने वाले मामलों में लोगों की जान बचाने को अधिकारी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। जो लोग जान देने की गलत दिशा में जा रहे थे, उनमें से अधिकांश अवसाद में थे।

जब उन्हें बचाया गया और कुछ मिनट बात की तो उनका विचार बदल गया। ऐसे लोग कुछ देर बाद अपनी गलती पर शर्मिंदा भी होते हैं।

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