छत्रसाल संग्रहालय का हटाया गया अतिक्रमण

केसर हिन्द भारत सरकार की नजूल ज़मीन पर भूमाफ़िया संतु लोधी की अवैध सल्तनत ढहा दी।

– पुरातात्विक महत्व के प्राचीन भवन पर संतू लोधी का एकाधिकार।
– छत्रसाल संग्रहालय की भूमि पर किये गए अवैध कब्जे फौरी तौर ओर हटाये गए लेकिन अवैध मैरिज हाउस अभी आबाद हैं।
– तत्कालीन डीएम जीएस नवीन कुमार व हीरालाल ने आंशिक तौर पर कार्यवाही की थी पर बात दबा दी गई।
– अवैध अतिक्रमण को सिटी मजिस्ट्रेट, ईओ नगरपालिका व बीडीए के अभियंता ने पुलिस बल के साथ हटाया।

20 जुलाई,बाँदा। बाँदा के बिजलीखेड़ा- सुतरखाना मार्ग में स्थित पुरातत्व विभाग के महत्व वाला छत्रसाल संग्रहालय आज कुछ हद तक अतिक्रमण मुक्त हुआ है। आनन- फानन में मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट नेतृत्व पर ईओ नगर पालिका,बीडीए अभियंता व पुलिस बल ने कई साल पुराना अवैध कब्जा हटाया हैं।

गौरतलब हैं कि बाँदा शहर में बिजलीखेड़ा कालू कुआँ मार्ग पर सपा कार्यालय के समीप नजूल ज़मीन हैं। केसर हिन्द भारत सरकार इस नजूल ज़मीन पर पर प्राचीन छत्रसाल संग्रहालय बना है। यह प्राचीन संग्रहालय अपने साथ पुराना इतिहास समेटे है।

तमाम पुरातात्विक मूर्ति, पांडुलिपि इस छत्रसाल संग्रहालय की शान हुआ करती थी लेकिन विकास के ठेकेदार और सरकारी जमीन पर भूमाफ़ियागिरी करने वालों ने संग्रहालय को खत्म कर दिया। योजनाबद्ध तरीके से यहां अवैध कब्जे किये गए। वहीं संतू लोधी ने न सिर्फ अवैध घर बनाया बल्कि अवैध तीन मंजिला मैरिज हाउस तक बनाने का दुस्साहस किया है।

बतलाते चले कि केसर हिन्द भारत सरकार की इस नजूल ज़मीन में गाटा संख्या 56 का रकबा 3 बीघा 9 बिस्वा है । इसमें 1 बीघा 10 बिस्वा भूमि छत्रसाल संग्रहालय के नाम 56/1 के रूप में दर्ज है। वहीं 56/2 रकबे की भूमि स्थानीय संतू लोधी ( कोतवाली में कई मुकदमे दर्ज हैं ) ने 10/ रुपये के स्टाम्प पत्र में नोटरी कराकर कर बेच ली है।

वर्तमान में 56/1 का रकबा भी  पूरा नहीं बचा वहीं अब 56/1 के रकबे में ही मैरिज हाउस का अवैध निर्माण कराया जा रहा है क्यों कि 56/2 के रकबे से अधिक तो संतू लोधी आदि 25 साल पहले ही अवैध ठंग से बेंच चुके तथा अपना निर्माण आदि भी करवाये है।

नजूल सरकारी जमीन व छत्रसाल संग्रहालय का संरक्षण करे प्रशासन
वाइस आफ बुंदेलखंड से शिकायतकर्ता व अधिवक्ता आदित्य सिंह ने बताया कि छत्रसाल संग्रहालय के संरक्षण को तत्कालीन डीएम जीएस नवीन कुमार व हीरालाल ने कुछ हद तक बचाने का जतन किया था। अधिवक्ता आदित्य सिंह की मानें तो करोड़ों की ज़मीन भूमाफ़ियागिरी से बेच ली गई।

महज दस रुपये के स्टाम्प पत्र पर यह खेल किया और प्रशासनिक अमला कुछ न कर सका। शिकायत कर्ता कहते है प्रशासन को चाहिए कि शेष बची ज़मीन पर सरकारी स्तर पर बाउंड्री वाल / दीवार खड़ी करके संग्रहालय का संरक्षण हो। वहीं प्रशासन कुछ ऐसा रचनात्मक कार्य इस जमीन पर करें जिससे यह बहुउपयोगी भूमि बच सके।

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