घुटने के दर्द से जूझते मरीजों के लिए आशा की किरण है स्टिचलेस नी रिप्लेसमेंट

मुंबई। घुटने का दर्द अब सभी उम्र के लोगों के लिए एक आम समस्या बन चुका है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अक्सर सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है, जिसके जरिए घुटने के विकारग्रस्त हिस्से को निकालकर उसकी जगह आर्टीफिशियल नी इंप्लांट्स लगाया जाता है।

यह संपूर्ण घुटना प्रत्यारोपण कहलाता है। यह तकनीक इस तरह के मरीजों के लिए किसी वरदान की तरह है। इसके कई लाभ भी हैं, जैसे कि इस प्रक्रिया में दर्द कम होता है, मरीज की हालत में तेजी से सुधार होता है और उसे बार-बार अस्पताल आने की जरूरत नहीं होती है।

बिना टांके का घुटना प्रत्यारोपण (स्टिचलेस नी रिप्लेसमेंट) कराने वाले मरीज सर्जरी के बाद अस्पताल से शीघ्र घर जा सकते हैं। बीमारी, उम्र या फ्रैक्चर के चलते जब घुटने के जोड़ों में दर्द होने लगता है तो घुटना प्रत्यापरोपण सर्जरी की जाती है।

आस्टियो आर्थराइटिस की समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है। इसके दीर्घकालिक समाधान के लिए मरीजों को प्राय: संपूर्ण घुटना प्रत्यारोपण (टोटल नी रिप्लेसमेंट) की सलाह दी जाती है।

बिना टांके की तकनीक में घाव को ठीक करने के लिए स्किन ग्लू का उपयोग किया जाता है और इसमें टांका देने की जरूरत नहीं होती है। इस नई तकनीक से रोगियों को सर्जरी के बाद टांका हटवाने की प्रक्रिया से मुक्ति मिल जाती है। इस प्रक्रिया में तकलीफ भी नहीं होती, बहुत खून भी नहीं निकलता और फालोअप की प्रक्रिया दर्द मुक्त होती है।

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