सिनेमा भी समाज का ही एक अंग है

उरई/जलौन,संवाददाता। कोंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त राकेश कुमार पालीवाल ने सिनेमा में साहित्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कहा कि साहित्य और सिनेमा हमारे जीवन के कलात्मक पक्ष के साथ ही बड़े पहलू है।

और साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है, ठीक उसी प्रकार से सिनेमा भी समाज का अंग है। डीआईओएस भगवत पटेल ने कहा कि कला, साहित्य और विज्ञान को विकास से जोड़कर देखा जाना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह ने कहा कि आधुनिक दौर विस्तार का दौर है।

आज के परिवेश में हर हाथ में सिनेमा है। वह भले ही छोटी स्क्रीन पर हो लेकिन मोबाइल के रूप में हमारे सामने ही है। इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त ने बुंदेलखंड में पर्यटन की संभावनाओं को तलाशते हुए कहा कि बुंदेलखंड के ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल फिल्मों की शूटिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। झांसी जनपद में स्थित किले, नदी और बाग-बगीचे भी शूटिंग के लिए उपयोगी हैं।

मोंठ क्षेत्र सहित समथर, लोहागढ़,अम्मरगढ के ऐतिहासिक स्थल, बिरहटा एवं खिरियाघाट में बेतवा नदी किनारे आदि बहुत अच्छी लोकेशन फिल्म निर्माताओं को मिल सकती है। फेस्टिवल के संयोजक पारसमणि अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया।

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