किसानों के मध्य सफेद हाथी बने सरकारी सिंचाई साधन

नहरों में उड़ रही धूल नलकूपों में पड़े ताले

भरुआ सुमेरपुर। ब्लॉक क्षेत्र में सिंचाई के लिए सरकारी संसाधन किसानों के मध्य सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. नहरों में धूल उड़ रही है. राजकीय नलकूप ठप पड़े हैं. किसानों को निजी संसाधनों से खरीफ की फसलें बचाने की कवायद करनी पड़ रही है.
ब्लॉक क्षेत्र में सिंचाई के लिए मौदहा बांध की नहरों के साथ बेतवा एवं यमुना नदी से निकाली गई पंप कैनालों से पानी मुहैया होता है. आधा दर्जन नहरे किसानों को पानी उपलब्ध कराती हैं.
इसके अलावा 285 राजकीय नलकूप किसानों को सिंचाई के लिए पानी देते हैं. मौजूदा समय में नहरों में धूल उड़ रही है. नलकूपों में ताले पड़े हुए हैं. किसानों को निजी संसाधनों से खरीफ की फसलें बचाने की कवायद करनी पड़ रही है.
किसान राधेश्याम तिवारी, भोला तिवारी, सुरेश यादव, चंद्रपाल साहू, धनीराम साहू, बच्चा गुप्ता, मान सिंह भदौरिया, ऐनुद्दीन, लल्लू सोनी, राजू यादव ने बताया कि उनको मौदहा बांध की सुमेरपुर ब्रांच के साथ गांव में लगे राजकीय नलकूपों से सिंचाई के लिए पानी मुहैया होता है.
सुमेरपुर ब्रांच में जनवरी माह से पानी नहीं छोड़ा गया है. किसानों को खरीफ में बोई गई फसलों को बचाने के लिए निजी नलकूपों से पानी खरीदना पड़ रहा है. सरकारी संसाधन किसानों के मध्य सफेद हाथी की तरह है.
पिछले एक सप्ताह से बारिश न होने से खरीफ में बोई गई ज्वार, अरहर, मूंग, उड़द, तिल, मक्का, मूंगफली आदि फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गई है. तिल की फसल उगने के साथ पानी के अभाव में सूख गई है.
अब किसानों के सामने दोबारा फसल बोना ही विकल्प बचा है. जिसके लिए किसान प्रतिदिन आसमान की तरफ आंखें गड़ाकर बारिश की बूंदों की ओर निहार रहा है. बारिश होने के बाद सूख गई फसलों के खेतों में दोबारा बुवाई की जाएगी।
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