पंचायत चुनाव में सपा ने बिगाड़ा भाजपा का समीकरण
सपा पहले ही समझ गई बीजेपी और बीएसपी का खेल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी हर पार्टी ने की है। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में ही असली जंग है। दोनों ने ताकत झोंक दी है। दलों के सदस्यों से कही अधिक निर्दलीय सदस्य की आवभगत हो रही है। हर कोई अपने अपने तरीके से लुभाने की कोशिश कर रहा है।
जिधर झुकेंगे ,वजन तो बढ़ा ही देंगे। 3 जुलाई को वोटिंग होनी है। राजनीतिक पार्टियां धीरे-धीरे पत्ते खोले रही हैं। समीकरण और रणनीति भी दिखाई देने लगी है। राजनीतिक दलो के उम्मीदवार तय है और उम्मीदवारों के लिए सदस्यों की खोज जारी है। सदस्यों की मीटिंग हो रही है, लुभावने दावे और वादे किए जा रहे हैं।
सत्ता में मौजूद बीजेपी का समीकरण उलझा हुआ नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी ने गणित लगाई है जिससे बीजेपी का समीकरण बदल गया। उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रक्रिया जारी है, इस प्रक्रिया में पार्टियां भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जहां सत्ता में मौजूद बीजेपी पहले 75 के 75 जिलों में अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का सपना देख रही थी, वही अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी जंग कठिन हो गई है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव ने कई बार कहा कि बीजेपी के50 से ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष जीतेंगे। चैलेंज कड़ा हो गया है।उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत के चुनाव में जहां मुख्य विपक्षी पार्टी सपा पहले स्थान पर पहुंच गई वहीं भाजपा और बसपा दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। जहां जहां बसपा चुनाव नहीं लड़ रही है, वहां बसपा सपा के उम्मीदवार को किसी दशा में सपोर्ट करने वाली नहीं है।
भाजपा को यह पता है, जाहिर है बसपा में सेंधमारी सम्भव है। जहां पर यह दिखाई दिया कि भाजपा को बसपा कहीं-कहीं समर्थन दे रही है, मगर बसपा से जीते हुए सदस्य भाजपा को समर्थन देने को तैयार नहीं दिखाई दे रहे थे। इस सोच को सपा ने भाप लिया और सीधा बसपा और अन्य छोटे दलों के सदस्यों से संपर्क साधा। बात भाजपा को पता चली तो भाजपा के कुनबे में खलबली मच गई।
जहां 75 जिला पंचायत अध्यक्ष जीतने का सपना देखा जा रहा था वहां तो आंकड़े नीचे जा रहे हैं। सपा ने अन्य छोटे दलों के सदस्यों को भी अपने में शामिल कराया। पहले से ही सपा बसपा और भाजपा से लगभग डेढ़ सौ सीट ज्यादा आगे थी।
अखिलेश की गणित ने भाजपा और बसपा की चिंता बढ़ा दी है। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनाव में साम दाम दण्ड भेद सब लगाने का चलन पुराना है। देखना है उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत चुनाव में किसकी बल्ले बल्ले होती है। चुनाव है, कब ऊँट किस करवट बैठ जाये कहना मुश्किल है।