पिता के संघर्ष की जीती जागती तस्वीर निशा
सोनीपत। भारतीय महिला हाकी खिलाड़ी निशा को ओलंपिक टीम में चुने जाने तक का सफर एक पिता के संघर्ष की गाथा कहता है। ओलंपिक के लिए महिला हाकी टीम में चुनी गईं कालूपुर की रहने वाली निशा के पिता शबराज अहमद ने जब बेटी को इंडिया की ओर से खेलते देखने का ख्वाब संजोया तब वो खुद किराए के मकान में रहकर परिवार का पेट पालने की जद्दोजहद में भी उलझे थे।
बेटी को आगे बढ़ाने के लिए शबराज ने परिवार के लिए खुद की छत का इंतजाम करने तक के ख्याल को त्याग दिया। सालों बाद अब जब बेटी ने ख्वाब को साकार किया है पैरालाइज हो चुके शबराज अहमद को परिवार के बेहतर भविष्य की उम्मीद जगी है।
ओलंपिक के लिए महिला हाकी टीम में चुनी गई सोनीपत की महिला खिलाड़ियों में से एक निशा का परिवार शहर के कालूपुर में महज 25 गज जमीन बने मकान में रहता है। इससे पहले निशा का परिवार महिला हाकी की स्टार खिलाड़ी नेहा गोयल के पड़ोस में किराए पर रहता था। उस समय नेहा का भी संघर्ष का दौर था। नेहा की मां और निशा की मां एक साथ फैक्ट्री में कार्य करती थी।
इस बीच नेहा ने निशा को भी हाकी मैदान पर ले जाना शुरू कर दिया। निशा ने एकबार हाकी स्टिक संभाली तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। निशा के पिता एक कपड़े की दुकान पर दर्जी का काम करते थे।