नॉर्थ कोरिया में भुखमरी के हालात

नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने स्वीकार किया है कि उनका देश गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक बैठक में किम ने माना कि स्थिति बहुत खराब है और लगातार हालात बिगड़ रहे हैं।

अनाज की कमी की वजह से नॉर्थ कोरिया में महंगाई चरम पर पहुंच गई है और खाने-पीने की चीजें आम लोगों के पहुंच से बाहर हो गई है।

राजधानी प्योंगयांग में ब्लैक टी के एक छोटे पैकेट की कीमत 70 डॉलर (करीब 5,167 रुपए), कॉफी पैकेट की कीमत 100 डॉलर (7,381 रुपए) और 1 किलो केले की कीमत 45 डॉलर (3300 रुपए) हो गई है।

हाल ही में यूनाइडेट नेशंस के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) ने कहा था कि नॉर्थ कोरिया में 860,000 टन अनाज की कमी है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि देश में दो महीने की आपूर्ति के बराबर ही अनाज बचा है।

रिडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नॉर्थ कोरिया के किसानों को उर्वरक उत्पादन के लिए हर दिन 2 लीटर यूरीन का योगदान देने को कहा गया है।

चिंताजनक हालात के बावजूद किम ने कहा है कि सीमाएं बंद रहेगी और महामारी के खिलाफ लागू नियम बरकरार रहेंगे। नॉर्थ कोरिया ने कोरोना महामारी को रोकने के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं।

नॉर्थ कोरिया जनता का पेट भरने के लिए आयात और चीन से मिलने वाली मदद पर निर्भर है, क्योंकि देश का अपना उत्पादन पर्याप्त नहीं है। परमाणु कार्यक्रमों की वजह से नॉर्थ कोरिया पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं।

इस साल अप्रैल में किम ने आने वाले संकट को स्वीकार करते हुए अधिकारियों को ‘आरडूअस मार्च’ के लिए तैयार रहने को कहा है। ‘आरडूअस मार्च’ का इस्तेमाल नॉर्थ कोरिया में 1994 से 1998 के बीच हुए खाद्य संकट के लिए किया जाता है।

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