गुवाहाटी है बेहतरीन पर्यटक स्थल

पूर्वोत्तर भारत में स्थित दर्शनीय स्थलों में गुवाहाटी का नाम अग्रणी रूप से लिया जा सकता है। गुवाहाटी के उत्तर में जहां भूटान और अरूणाचल प्रदेश स्थित हैं वहीं दक्षिण में मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और बांग्लादेश स्थित हैं।

जबकि पूर्व में नागालैंड व मणिपुर और पश्चिम में पश्चिम बंगाल स्थित है। इस प्रकार आप गुवाहाटी को पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कह सकते हैं क्योंकि इनमें से अधिकतर राज्यों में गुवाहाटी से होते हुए ही जाना पड़ता है।

विभिन्न राज्यों की भांति गुवाहाटी भी पूर्व में अनेक राजाओं की राजधानी रह चुकी है। ऐतिहासिक पक्ष के साथ ही कामख्या मंदिर तथा वसिष्ठ आश्रम आदि गुवाहाटी के धार्मिक पक्ष को भी अधिक सुदृढ़ बनाते हैं।

लंबी दूरी तक फैला यह शहर छोटी−छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। गुवाहाटी की खास बात यह है कि यहां सड़कें चौड़ी और साफ−सुथरी हैं। यहीं पर मौजूद ब्रह्मपुत्र नदी गुवाहाटी की महत्ता को और बढ़ा देती है।

आइए आपको सबसे पहले लिए चलते हैं कामख्या मंदिर, इसे कामख्या शक्तिपीठ भी कहा जाता है। गुवाहाटी स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर नीलांचल पर्वत पर स्थित कामख्या मंदिर से कई और भी मंदिर सटे हुए हैं।

इसके बाद आप वसिष्ठ आश्रम भी जा सकते हैं। यह स्टेशन से 15 किलोमीटर दूर है, इस आश्रम के बारे में मान्यता यह है कि यहां पर कभी महर्षि वसिष्ठ रहा करते थे। यदि आप आश्रम जा रहे हैं, तो बेहतर होगा कि अपना कैमरा साथ ही ले जाएं क्योंकि आश्रम के बाहर मिलने वाले फोटोग्राफर आपसे मनमर्जी के पैसे वसूलेंगे।

गुवाहाटी का नेहरू पार्क बहुत ही खूबसूरत है। इस पार्क में शाम के समय बड़ी चहल−पहल रहती है। बच्चों को आकर्षित करने के लिए यहां कई प्रकार के झूले तथा उनके लिए ढेरों सुविधाएं मौजूद हैं।

विविध प्रकार के फूलों एवं तरतीब से लगाए गए खूबसूरत वृक्ष तथा म्यूजिकल फाउंटेन इस पार्क की शोभा में चार−चांद लगा देते हैं। सायं के वक्त पार्क में संगीत की धुन पर फव्वारों के बनते−बिगड़ते विविध रूप अद्भुत समां बांध देते हैं। आप चिड़ियाखाना भी देखने जा सकते हैं।

यहां पर नाना प्रकार के पशु−पक्षियों का जमावड़ा है। यहां पर मौजूद रंगबिरंगे पशु तथा पक्षी सैलानियों को अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं। यहां पर मौजूद सांप की दुर्लभ प्रजातियों का संग्रह भी देखने लायक है।

स्टेट म्यूजियम गुवाहाटी का एक प्रमुख आकर्षण है। यहां पर ऐतिहासिक महत्व की सभी वस्तुएं बड़े ही करीने से सजा कर रखी गई हैं। सोमवार के दिन बंद रहने वाले इस म्यूजियम को पूरी तरह से देखने के लिए कम से कम तीन घंटे का समय चाहिए।

अन्य प्रमुख आकर्षणों में उमानंदा मंदिर भी देखा जा सकता है, जोकि शिव को समर्पित किया गया है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच टापू पर बना है। इनके अलावा आप यदि पूरे गुवाहाटी शहर का विंहगम अवलोकन करना चाहें तो टीवी टावर पर जा सकते हैं।

1948 में स्थापित गुवाहाटी विश्वविद्यालय शहर के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है। आप गांधी मंडप, तेलशोधक कारखाना एवं गीता मंदिर भी देखने जा सकते हैं।

गुवाहाटी को पूर्वोत्तर भारत का सबसे खूबसूरत शहर होने के साथ ही पूर्वोत्तर भारत का एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र भी कहा जा सकता है। पूर्वोत्तर भारत का सबसे विशाल चाय बिक्री केन्द्र भी गुवाहाटी ही है।

गुवाहाटी रेल, सड़क एवं वायु मार्ग द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। अतः यहां तक पहुंचने का साधन आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यदि आप सड़क मार्ग से सिलीगुड़ी एवं कलकत्ता आदि शहरों से गुवाहाटी तक की यात्रा कर रहे हैं, तो यह ध्यान रखिए कि यह मार्ग ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं।

वैसे तो गुवाहाटी की यात्रा किसी भी सीजन में की जा सकती है लेकिन यदि आप गुवाहाटी आने के बाद शिलांग, काजीरंगा, मानस आदि भी जाने के इच्छुक हैं तो आप सितंबर से मई के बीच के महीनों का ही चुनाव करें। गुवाहाटी में रहने एवं खाने−पीने की व्यवस्था तो ठीक है लेकिन यदि आप रोटी ज्यादा पसंद करते हैं, तो आपको यहां निराशा हो सकती है।

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