बड़ी चुनौती बनता बनता जा रहा है ब्लैक फ़ंगस

कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद करता है हमला

नईदिल्ली। 25 मई 2021, कोरोना महामारी का दूसरा चरण अभी समाप्त नहीं हुआ है , यद्यपि  पिछले दो सप्ताह से कोरोना संक्रमण के मामलों में कुछ कमी आई है लेकिन अब भी हर रोज़ संक्रमण के लगभग दो लाख मामले सामने आ रहे हैं और मरने वालों की संख्या भी तीन हज़ार से चार हज़ार के बीच है।  तथा विशेषज्ञ कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर भी चिंता ज़ाहिर कर चुके हैं।  इन सबके बीच भारत में तेजी से बढ़ते ब्लैक फ़ंगस के मामले लोगों तथा सरकार की चिंता बढ़ा रहे है।

जानलेवा अबतक ब्लैक फ़ंगस के 8800 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इस संक्रमण को म्यूकरमायकोसिस कहा जाता है।  जिसमें मृत्यु दर क़रीब पचास फ़ीसद है। जबकि कई ऐसे मरीज़ हैं जिनकी आंख निकालने के बाद ही उनकी ज़िंदगी बचायी जा सकी।

हाल के महीनों में भारत में ऐसे हज़ारों मामले सामने आए हैं जिसमें कोविड19 से ठीक हो चुके और ठीक हो रहे मरीज़ इससे प्रभावित हुए हैं।

देश में ब्लैक फ़ंगस के आधे से अधिक मामले पश्चिमी राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में दर्ज किये गए हैं. इसके अलावा कम से कम 15 अन्य राज्यों में भी आठ सौ से नौ सौ मामले सामने आए हैं.

तेज़ी से बढ़ते फ़ंगस इंफ़ेक्शन के कारण भारत के 29 राज्यों को इस बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए कहा गया है.

डॉक्टरों का कहना है कि देश भर में इस बीमारी से पीड़ित मरीज़ों के इलाज के लिए जिन नए वॉर्ड की व्यवस्था की गई है वे तेज़ी से भरते जा रहे हैं.

क्या है ब्लैक फंगस ?

म्यूकरमायकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है.

डॉक्टर नायर कहते हैं, “ये फंगस हर जगह होती है. मिट्टी में और हवा में. यहां तक कि स्वस्थ इंसान की नाक और बलगम में भी ये फंगस पाई जाती है.”

ये फंगस साइनस, दिमाग़ और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज़ के मरीज़ों या बेहद कमज़ोर इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) वाले लोगों जैसे कैंसर या एचआईवी/एड्स के मरीज़ों में ये जानलेवा भी हो सकती है.

क्या है ब्लैक फंगस का इलाज ?

डॉक्टरों का कहना है कि एम्फ़ोटेरिसन बी या एम्फ़ो-बी एक एंटी-फ़ंगल एंट्रावेनस इंजेक्शन है जिसे ब्लैक फ़ंगस के मरीज़ों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें यह इंजेक्शन आठ सप्ताह तक हर रोज़ दिया जाना चाहिए. दवा के दो रूप मौजूद है- स्टैंडर्ड एम्फोटेरिसिन बी डीऑक्सीकोलेट और लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन।

ब्लैक फंगस के लक्षण 

म्यूकरमायकोसिस में ये लक्षण पाए जाते हैं – नाक बंद हो जाना, नाक से ख़ून या काला तरल पदार्थ निकलना, आंखों में सूजन और दर्द, पलकों का गिरना, धुंधला दिखना और आख़िर में अंधापन होना। मरीज़ के नाक के आसपास काले धब्बे भी हो सकते हैं.

डॉक्टर्स बताते हैं कि अधिकतर मरीज़ उनके पास देर से आते हैं, तब तक ये संक्रमण घातक हो चुका होता है और उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी होती है. ऐसे में डॉक्टर्स को संक्रमण को दिमाग़ तक पहुंचने से रोकने के लिए उनकी आंख निकालनी पड़ती है।

कुछ मामलों में मरीज़ों की दोनों आंखों की रोशनी चली जाती है. कुछ दुर्लभ मामलों में डॉक्टरों को मरीज़ का जबड़ा भी निकालना पड़ता है ताकि संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके।

इसके इलाज़ के लिए एंटी-फंगल इंजेक्शन की ज़रूरत होती है जिसकी एक खुराक़ की कीमत 3500 रुपये है। ये इंजेक्शन आठ हफ्तों तक हर रोज़ देना पड़ता है। ये इंजेक्शन ही इस बीमारी की एकमात्र दवा है।

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