चार साल में पहली बार उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार में आया संकट
देहरादून : उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के चार साल में पिछले दो दिनों से बड़ा संकट आया हुआ है। भाजपा कोर कमेटी की शनिवार को हुई बैठक में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। कोर कमेटी की बैठक के लिए विशेषतौर से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम को देहरादून भेजा था।बैठक के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने की बात हर किसी के जुबान पर है। बता दें कि उत्तराखंड में 18 मार्च को त्रिवेंद्र सरकार के चार साल पूरे होने वाले हैं।वहीं, सूत्रों का कहना है कि विगत सालों से कैबिनेट विस्तार नहीं होने की वजह से पाटी के वरिष्ठ नेताओं में अंसतोष है। पार्टी हाईकमान ने सीएम त्रिवेंद्र को कैबिनेट विस्तार की छूट भी दे दी थी लेकिन त्रिवेंद्र ने इस ओर कोई सार्थक कदम नहीं उठाया था।
बता दें कि विधानसभा में दो तिहाई विधायकों के समर्थन से बनी त्रिवेंद्र सरकार अपने चार साल के कार्यकाल में सबसे बड़े सियासी भूचाल का सामना कर रही है। इसी के साथ भाजपा में भी असंतोष का पुराना ज्वालामुखी एक बार फिर सुलगने की चर्चाएं हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को अभूतपूर्व जनसमर्थन देते हुए, 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 विधायकों का तोहफा दिया। इसके बाद निर्दलीय राम सिंह कैडा के समर्थन और एक मनोनीत विधायक को जोड़ते हुए, भाजपा के पास विधायकों का संख्या बल 59 को छू गया। इसका असर चार साल तक सरकार की स्थिरता के रूप में नजर आया। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बिना किसी दबाव में सरकार चलाते नजर आए।
शनिवार को देहरादून में मचे सियासी बवंडर के बीच, भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं को देश के अलग- अलग शहरों से देहरादून पहुंचने का हुक्म दिया। इसके बाद जो जहां था वहीं से सीधे देहरादून के लिए उड़ चला। पर्यवेक्षक रमन सिंह दिल्ली से आए तो महामंत्री संगठन अजय कुमार बंगाल से देहरादून के लिए उड़े। शिक्षा मंत्री निशंक को लखनऊ से देहरादून भेजा गया। सूत्रों के मुताबिक पूरे घटनाक्रम की पटकथा शुक्रवार शाम को बननी शुरू हो गई थी। रात साढ़े आठ बजे दिल्ली से फोन के जरिए गैरसैंण में मौजूद मुख्यमंत्री को शनिवार दोपहर देहरादून पहुंचने को कहा गया।