पाकिस्तान में मारा गया तालिबान प्रमुख हैबतुल्ला अखुंदज़ादा
नई दिल्ली: रविवार को अफगानी तालिबान नेता हैबतुल्ला अखुंदज़ादा की मौत की खबरें सामने आईं। अफगानी मीडिया के एक हिस्से ने अपनी रिपोर्टों में कहा कि हैबतुल्ला पिछले साल पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए विस्फोट में मारा गया था। हालांकि तालिबान के वरिष्ठ नेता अहमदुल्ला वसीक ने अखुंदज़ादा की मौत की खबरों को ‘झूठी खबर और आधारहीन अफवाह’ बताया और कहा कि तालिबान प्रमुख अब भी जिंदा है। लेकिन अगर अखुंदज़ादा की मौत की रिपोर्ट सही है, तो वह पाकिस्तान में मुल्ला उमर और मुल्ला अख्तर मंसूर की मृत्यु के बाद तीसरा तालिबान प्रमुख होंगा, जो ऐसे मारा जाएगा।
रिपोर्ट में सूत्रों का हवाल देते हुए कहा गया है कि बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक घर में हुए विस्फोट में महीनों पहले, अखुंदज़ादा को तालिबान के खुफिया प्रमुख मुल्लाह मतिउल्लाह और हाफ़िज़ अब्दुल मजीद के साथ मारा दिया गया था। रिपोर्ट कहती है कि यह घर मजीद का था। इस हमले में अखुंदज़ादा और मतिउल्लाह की तो तुरंत ही मौत हो गई, लेकिन माजिद की मौत दो या तीन दिन बाद पाकिस्तान के मिल्ट्री हॉस्पिटल में हुई।
रिपोर्ट में इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि धमाका अप्रैल 2020 में हुआ था। लोगों ने पुष्टि की कि यह ब्लास्ट माजिद के घर में हुआ था। लोगों ने कहा कि इस विस्फोट में कुछ और वरिष्ठ तालिबान नेताओं के मारे जाने की आशंका भी है। रविवार को अखुंदज़ादा की मौत की खबरें फैलने के कुछ घंटे बाद, तालिबान के वरिष्ठ नेता अहमदुल्लाह वसीक ने ट्विटर पर कहा, “यह झूठी खबर है और इन आधारहीन अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। इस तरह की अफवाहें और झूठी खबरें फैलाना दुश्मन की खुफिया सेवाओं द्वारा एक असफल प्रचार का प्रयास है। दुश्मन इस तरह की अफवाहों में अपनी हार को छिपाना चाहता है और लोगों के मन को विचलित करना चाहता है।”
हालांकि अखुंदजादा की मौत को लेकर पहले भी ऐसी खबरें सामने आई हैं, जो गलत साबित हुई हैं। वहीं, तालिबान के लिए अपने नेताओं की मौत को छिपाना भी कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान में 2013 में मुल्ला उमर की मौत को तालिबान ने लगभग दो साल तक लोगों से छिपाकर रखा था। इसके बाद इस समूह ने जुलाई 2015 में अफगानिस्तान की जासूसी एजेंसी के विकास के साथ सार्वजनिक रूप से मृत्यु की पुष्टि की।