जंग जीतने की ओर

कोविड.19 के खिलाफ भारत की जंग अपने अंजाम तक पहुंचने लगी है। पिछले नौ दिनों से कुल एक्टिव मरीजों की संख्या दो लाख से भी कम हैए और अभी करीब 1.74 लाख मरीजों का इलाज देश भर में चल रहा है। इनमें से 78 फीसदी मरीज केरलए महाराष्ट्रए उत्तर प्रदेशए कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में ही हैं। मरीजों के ठीक होने की दर भी बढ़कर 96.94 फीसदी हो गई हैए जबकि मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है।

इसका अर्थ है कि कोरोना के खिलाफ हमारी तैयारी अच्छी रही और इससे होने वाली जीवन की हानि को थामने में हम बहुत हद तक सफल रहे हैं। इन सबको देखते हुए सरकार द्वारा जारी नए दिशा.निर्देश अप्रत्याशित नहीं लग रहे।
नई गाइडलाइन में सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत से ज्यादा क्षमता के साथ चलाने की इजाजत दी गई हैए साथ ही स्विमिंग पूलों को सभी के लिए खोल दिया गया हैए जबकि इसका इस्तेमाल पहले सिर्फ खिलाड़ियों तक सीमित रखा गया था।

अब एक से दूसरे सूबे में जाने में भी किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी। सिनेमाघरों को जब 50 फीसदी क्षमता के साथ खोला गया थाए तब संक्रमण में कुछ उछाल दिखा था। मगर अब स्थिति काबू में है। लिहाजाए उन्हें जब बढ़ी क्षमता के साथ चलाया जाएगाए तब तमाम सुरक्षा उपाय अपनाने की जरूरत है। रही बात स्विमिंग पूल कीए तो अभी शायद ही इसका इस्तेमाल होगा।

अमूमन मार्च अप्रैल के बाद लोग इसका उपयोग करते हैंए इसलिए इसके खुलने का बहुत ज्यादा असर कोरोना मामलों पर नहीं होगा।
इस जंग में दिल्ली बाकायदा एक मॉडल बनकर उभरी है। यहां जनवरी महीने में छह दिन 200 से कम नए मामले सामने आए हैं। इसी कारण दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य सरकार के अधीन सभी अस्पतालों में सर्जरी के साथ.साथ ओपीडी सेवाएं शुरू करने का साहस बटोरा है।

राजधानी में संक्रमण की दर लगातार घट रही है। पूर्व के दिशा.निर्देशों में प्रतिबंध के बावजूद लोग निश्चिंत दिख रहे थे और बाजारों में रौनक थी। फिरए आंदोलनों के कारण संक्रमण के फैलने की जो आशंका थीए वह भी निर्मूल साबित हुई है। यह सुखद स्थिति है। हालात जितने जल्दी सामान्य हो जाएंगेए वह बेहतर माना जाएगा।

नए दिशा.निर्देशों के बाद अब उन मरीजों को काफी राहत मिलेगीए जो अस्पतालों में ओपीडी और सर्जरी सेवाएं बंद होने के कारण परेशानियों से जूझ रहे थे। यहां शिक्षण संस्थानों को भी अगले महीने से खोलने की तैयारी चल रही है।
हम बेशक ष्न्यू नॉर्मल की ओर बढ़ गए हैंए लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि महामारी खत्म हो गई है। दुनिया के किसी भी हिस्से में यदि कोई संक्रामक रोग पांव पसार रहा हैए तो अन्य देशों पर खतरा बराबर बना रहता है। यह सही है कि हमने कोरोना महामारी के खिलाफ योजनाबद्ध लड़ाई लड़ी हैए फिर भी सावधानी बरतने की दरकार है। जो सुरक्षा उपाय बताए गए हैंए उन पर जरूर अमल जारी रखना चाहिए। जैसेए मास्क का इस्तेमालए दो गज की शारीरिक दूरी का पालन और नियमित तौर पर हाथ धोना अभी भी जरूरी है। टीका भी हमें जरूर लगवाना चाहिए। अभी स्वास्थ्यकर्मियों और प्राथमिकता सूची के लोगों को टीके लगाए जा रहे हैंए जिसके कारण यह तबका अब सुरक्षित हो गया है।
हालांकिए अच्छी बात यह है कि अधिकांश लोगों में इस महामारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो गई है। दिल्ली का सीरो सर्वे बताता है कि कई इलाकों में 58 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। माना जा रहा है कि औसतन 50 फीसदी दिल्ली वाले इस रोग से लड़ने के लिए तैयार हैं।

इनमें वे लोग शामिल नहीं हैंए जो मार्च.अप्रैल के महीनों में कोरोना संक्रमित हुए होंगे और अब उनके शरीर में एंटीबॉडी दिख नहीं रही होगी। अगर इन्हें भी शामिल कर लिया जाएए तो राष्ट्रीय राजधानी में करीब 70 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। यह ष्हर्ड इम्यूनिटीष् की स्थिति है और कोरोना के मामले में कहा गया था कि यदि एक बड़ी आबादी इस वायरस से ष्इम्यूनष् हो जाती हैए तो वहां इस संक्रमण को करीब.करीब खत्म मान लिया जाएगा। कमोबेश ऐसी ही स्थिति देश भर में है।

यहां रोजाना अमूमन 12.15 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। सवा अरब से अधिक की आबादी में यह संख्या नगण्य मानी जाएगी। मुंबई के धारावी जैसे इलाकेए जहां संक्रमण की तेज रफ्तार दिखी थीए वहां भी सितंबर के सर्वे में दिखा था कि 45.50 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बन गई है यानी ये सब इलाके अब काफी हद तक संभल गए हैं।

अभी जो नए मामले सामने आ रहे हैं वे आमतौर पर उन इलाकों से आ रहे हैं जहां संक्रमण नहीं फैला था। इसका यह मतलब नहीं है कि कोरोना वायरस का प्रसार गांवों में हो रहा है। वह वक्त अब निकल चुका है। दरअसलए हर महामारी की एक वक्र रेखा होती हैए यानी रोजाना के नए मामलों का एक ग्राफ होता हैए जिससे संक्रमण के प्रसार का आकलन किया जाता है।

इस वक्र रेखा के मुताबिकए अपने यहां सितंबर.अक्तूबर में कोरोना शीर्ष पर था। इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आई है। नवंबर में त्योहारी मौसम होने के कारण कमी की दर ठहर जरूर गई थीए लेकिन अब तक शायद ही वक्र रेखा में एक फीसदी का भी इजाफा दिखा हो। यह भारत के लिए अच्छी स्थिति है।

बावजूद इसके हमें बचाव से जुड़ी हर सावधानी बरतनी होगी। कोई भी संक्रमण हमारी जीवन शैली से जुड़ा होता है। टीकाकरण अपनाने और जीवन शैली ठीक करने के साथ.साथ हमें अब बढ़ती आबादी के बारे में भी सोचना चाहिएए क्योंकि सघन जनसंख्या संक्रमण की गति तेज कर देती है। प्रदूषण को भी नियंत्रित करना आवश्यक है और साफ.सफाई पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। रही बात मास्क और सैनिटाइजर की तो किसी भी रसायन का लंबे समय तक इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है।

लिहाजा सैनिटाइजर तभी लगाएं जब पानी और साबुन की उपलब्धता न हो। और मास्क हमें अपने लिए ही नहीं बल्कि अपनों के लिए भी लगाना चाहिए। संक्रमण के लक्षण दिखने पर यदि मास्क लगाए जाते हैंए तो न सिर्फ संक्रमण का प्रसार कम होता हैए बल्कि दूसरों की सुरक्षा भी होती है। अपनों को सुरक्षित रखकर ही हम अपनी जान बचा सकते हैं।

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