हमीरपुर : आगामी प्रधानी चुनाव में मुद्दा बन सकता है अन्ना गोवंश
भरुआ सुमेरपुर। आगामी पंचायत चुनाव में विपक्षी मौजूदा प्रधानों के सामने अन्ना गोवंश संरक्षण को मुद्दा बनाकर चुनौती पेश कर सकते हैं. ऐसे हालत अब गांव-गांव बनने लगे हैं.
प्रधानी का चुनाव लड़ने की प्रबल इच्छा रखने वाले संभावित प्रत्याशी किसानों के मध्य अभी से इस प्रकरण को घेरने में जुट गए हैं.
बुंदेलखंड में अन्ना गोवंश एक बड़ी समस्या है. शासन प्रशासन के तमाम उपायों के बाद इस समस्या से निजात नहीं मिल रही है.
मौजूदा समय में सभी पंचायतों में पूर्व में संरक्षित किया गया अन्ना गोवंश छुट्टा घूम रहा है. शासन प्रशासन की नजर में यह संरक्षित हैं. लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. धरातल में अन्ना गोवंश छुट्टा घूम कर किसानों की खरीफ की फसलें चौपट करने में जुटा हुआ है.
किसान फसलें बचाने के लिए बरसात के सीजन में खेतों की मेड़ों पर बैठ कर रखवाली करने को विवश हो रहा है. प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे संभावित उम्मीदवार मौजूदा प्रधानों पर ठीकरा फोड़ने में जुटे हुए हैं.
संभावित उम्मीदवार किसानों के मुद्दे को जोर-शोर से प्रचारित कर रहे हैं कि शासन-प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अन्ना गोवंश को संरक्षित नहीं किया जा रहा है. मौजूदा प्रधान शासन प्रशासन के आदेश को धता बताकर गांव गांव में अन्ना गोवंश को बेसहारा छोड़ दिया है. इससे किसानों की मुसीबत बढ़ी है.
विपक्षियों के आरोपों से गांव का सीधा साधा किसान भी सहमत नजर आता है और मानता है कि मौजूदा प्रधानों ने इस समस्या को जानबूझकर खड़ा किया है.
सहमति से प्रधानी का चुनाव लड़ने वालों के हौसले बुलंद हैं और यह आगामी पंचायत चुनाव में मौजूदा प्रधानों के समक्ष इसको बड़ा मुद्दा बनाकर कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं.
हालांकि निकट भविष्य में पंचायत चुनाव होने की संभावना बहुत ही कम है फिर भी विपक्षी इसको मुद्दा बनाने के चक्कर में अभी से धार देने की जुगत में लग हुए हैं. ताकि ऐसा माहौल पैदा हो सके जिससे लगे कि इस समस्या को मौजूदा प्रधानों ने जानबूझकर खड़ा किया है.
विपक्षी उम्मीदवारों के इस दांव पर मौजूदा प्रधान घिरते नजर आ रहे हैं और वह किसानों को राहत देने की जुगत लगाने में जुटे हुए हैं.
इधर बिदोखर मेदनी की प्रधान ममता मिश्रा के अलावा ब्लाक कि अन्य किसी पंचायत के प्रधानों ने अभी तक किसानों को राहत नहीं दी है.
अब देखना यह है कि मौजूदा प्रधान कब तक किसानों को राहत देकर इस मुद्दे की काट ढूंढते हैं।