हमीरपुर : ब्लॉक की 2 दर्जन पंचायतों में होगी बासमती धान की खेती

लगभग 25 हजार बीघा में रोपित हुई धान की खेती

सुमेरपुर विकासखंड क्षेत्र की दो दर्जन ग्राम पंचायतों में इस वर्ष बासमती 1121 की प्रजाति खुशबू बिखेरेगी. करीब 25 हजार बीघे में इस वर्ष किसानों ने धान की रोपाई की है.

5 वर्ष पूर्व पंजाब हरियाणा से आए किसानों ने सूखे बुंदेलखंड में लीज पर खेती लेकर यहां के किसानों को धान बोने की राह दिखाई थी.

यही किसान पंजाब से बासमती प्रजाति का धान लेकर यहां आये थे. अच्छा उत्पादन देखकर किसानों ने धीरे-धीरे धान की खेती का रकबा बढ़ाया और आज सुमेरपुर विकासखंड क्षेत्र की 2 दर्जन पंचायतों में किसान धान की फसल उगाने लगा है.

क्षेत्र का टेढा ग्राम धान उगाने का हब गया है. इस वर्ष इस गांव में 5 हजार बीघे में बासमती 1121 की प्रजाति रोपित की गई है.

ग्राम प्रधान सौरभ सिंह ने बताया कि इस प्रजाति के धान से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है. पंजाब हरियाणा से व्यापारी आकर सीधे किसानों का धान खरीद लेते हैं.

इससे किसानों को बाजार ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने बताया कि 5 वर्ष पूर्व पंजाब से आए किसानों ने यहां लीज पर खेती लेकर धान रोपित किया था.

बाद मे टेढा सहित आसपास के गांवों में धान का उत्पादन होने लगा. इस वर्ष सुमेरपुर, टेढा, पंधरी, पारारैपुरा, पचखुरा खुर्द, बिरखेरा, मौहर, अतरैया, धुंधपुर, पचखुरा महान, बरुआ, भौरा, पत्योरा डांडा, सुरौली बुजुर्ग, बिदोखर पुरई, बिदोखर मेदनी, मवई जार, इंगोहटा, चंद्रपुरवा बुजुर्ग, इटरा, बण्डा, धनपुरा, अतरार, छानी बुजुर्ग, छानी खुर्द, पलरा आदि गांवों में किसानों ने धान की फसल रोपित की है.

टेढा सहित आसपास के गांव में करीब 15 हजार बीघे में धान की फसल रोपित की गई है.

अन्य गांवों में लगभग 10 हजार बीघे में धान की फसल रोपित की गई है. किसानों के अनुसार इस वर्ष लगभग 25 हजार बीघे में पूरे क्षेत्र में धान रोपित किया गया है.

ज्यादातर गांव के किसानों ने बासमती प्रजाति का ही धान रोपित किया है.

यहां के किसान शिवमंगल सिंह, सौरभ सिंह, गोपीश्याम द्धिवेदी, राजेन्द्र यादव, सुरेश मिश्रा आदि ने बताया कि यहां पर खरीफ में बोई जाने वाली ज्यादातर फसलें कभी कम वर्षा तथा अतिवृष्टि की भेंट चढ जाती थी।

इससे किसानों को नुकसान के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता था. धान रोपित करने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता, बल्कि प्रति बीघे पांच से छह कुंतल धान की फसल हाथ आ जाती है.

इससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है और रवि की फसलों की लागत के लिए किसानों को परेशानी नहीं होती है.

इससे किसानों का रुझान धान उत्पादन की ओर प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है।

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