इस दुर्लभ बीमारी ने रखा भारत में कदम, यहां मिला पहला केस
नईदिल्ली। अमेरिका और यूरोपीय देशों में बच्चों को बीमार करने वाली रहस्यमयी बीमारी अब भारत में भी आ चुकी है। कोरोना वायरस से जुड़ी इस रहस्यमयी बीमारी की वजह से कई बच्चे मारे भी गए हैं। सैकड़ों का अभी इलाज चल रहा है। चेन्नई में एक 8 साल का लड़का कोरोना वायरस से जुडें हाइपर-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से बीमार होने वाला पहला केस बन गया है।
इस बीमारी की वजह से इस बच्चे के पूरे शरीर में सूजन आ गई है। बच्चा चेन्नई के कांची कामकोटि चाइल्ड्स ट्रस्ट अस्पताल में आईसीयू में भर्ती है। बच्चे के शरीर में टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम और कावासाकी बीमारी के लक्षण मिले थे।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम यानी शरीर में जहरीले त्तवों का उत्पन्न होना और पूरे शरीर में फैल जाना। जिसका असर शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर पड़ता है। एकसाथ कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं. बच्चे की जान को खतरा रहता है।
10 मई को इसके बारे में जर्नल ऑफ इंडियन पीडियाट्रिक्स में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। जिसमें लिखा है कि इस बच्चे में निमोनिया, कोविड-19 कोरोनावायरस , कावासाकी बीमारी और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण एकसाथ मिले थे। लेकिन बच्चे में कोरोना और हाइपर-इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम को इम्युनोग्लोबुलिन और टोसीलीजुमैब दवा से ठीक कर दिया गया।
कांची कामकोटि चाइल्ड्स ट्रस्ट अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पीड़ित बच्चे की गहन देखभाल की गई और दो सप्ताह बाद वो ठीक हो गया।
इससे पहले लंदन में अप्रैल के मध्य में दस दिन के अंदर आठ बच्चों में यह बीमारी हुई थी। हाल ही में अमेरिका में कई बच्चों में इसकी पुष्टि हुई है। न्यूयॉर्क में 3 बच्चों की मौत इसी बीमारी से हुई थी।
कोरोना वायरस की वजह अमेरिका और यूरोप के बच्चों को एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इस बीमारी के लक्षण कावासाकी बीमारी जैसे हैं। लेकिन ये उससे गंभीर है। न्यूयॉर्क में 100 बच्चे संदिग्ध रूप से इस बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं, 14 साल के एक बच्चे की इस दुर्लभ बीमारी के चलते लंदन में मौत हो गई है।
वहीं, इटली के डॉक्टरों ने कोविड-19 और इस नई बीमारी के बीच संबंध खोज लिया है। जबकि, दूसरी तरफ इटली के अस्पतालों ने चेतावनी जारी की है कि इस नई बीमारी की वजह से बच्चों के बीमार पड़ने की दर 30 गुना ज्यादा हो गई है। यह एक दुर्लभ तरह की बीमारी है।
इटली के लोम्बार्डी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि पिछले दो महीनों में यह दुर्लभ बीमारी बढ़कर 30 गुना हो गई है। रिसर्चर्स ने बताया कि पिछले पांच साल में इस बीमारी की वजह से 19 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए थे। कभी-कभार ही मामले आते थे।