कोरोना वायरस के कारण कच्चे माल हुआ सस्ता, रुपये में आई गिरावट
चीन से उपजा Coronavirus पूरी दुनिया की इकोनॉमी के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बीते कुछ समय से दुनियाभर के स्टॉक मार्केट दबाव में हैं। इसके साथ ही करेंसी कमजोर हुई हैं, तो कच्चे तेल की कीमत भी गिरी है। शुक्रवार को कच्चे तेल के भाव में पांच परसेंट की बड़ी गिरावट देखने को मिली। इसके साथ ही एक बैरल कच्चा तेल 47.02 डॉलर के निचले स्तर तक आ गया है। वहीं यह जुलाई 2017 के बाद सबसे निचला स्तर है। इसके अलावा दूसरी तरफ, घरेलू बाजार में हड़बड़ाए निवेशकों ने डॉलर के मुकाबले रुपये को खासा कमजोर किया है। वहीं शुक्रवार को घरेलू बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 74 के पार चला गया। फिलहाल कारोबार बंद होते वक्त यह किसी तरह 74 के नीचे बंद होने में कामयाब रहा।
तेल की चूकी धार
तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक और अन्य तेल निर्यातक देशों के बीच हुई बैठक में उत्पादन कम करने का आग्रह किया था। इसके साथ ही जिसे रूस ने फिलहाल टाल दिया है। ग्लोबल आर्थिक सुस्ती के चलते कच्चे तेल की मांग में जबरदस्त कमी आई है। उत्पादन में कटौती नहीं होने से इसका भाव जमीन छूने लगा है। फिलहाल कच्चे तेल के भाव में गिरावट भारत जैसे विकासशील देशों को बढ़ते आयात खर्च के लिए राहत भी लेकर आई है।
पाई-पाई को तरस रहा रुपया
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से पहले ही चालू खाते के घाटे पर दबाव में चल रहे भारत को कच्चा तेल सस्ता होने कुछ राहत मिल सकती है। बीते दो महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया भी लगातार कमजोर हो हुआ है। इस वर्ष फरवरी की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले रुपया 71.18 के भाव पर था, जो इस शुक्रवार को 73.79 के स्तर तक लुढ़क गया।इसके साथ ही इस दौरान यह 74.08 के निचले स्तर तक गया। हालांकि रुपये में ज्यादा गिरावट बीते महीने की 26 तारीख के बाद देखने को मिली। वहीं इस दिन एक डॉलर 71.39 रुपये के भाव पर रहा था, जो फरवरी के अंत तक 72.53 के स्तर पर पहुंच गया। इस महीने देश में कोरोना मरीज सामने आने के बाद शेयर मार्केट और रुपया दोनों पर ही दबाव बढ़ा है।
लगातार बढ़ रही है सोने की चमक
दुनियाभर के बाजारों में इस उठापटक का सबसे ज्यादा फायदा सोने को मिल रहा है, जो घरेलू बाजार में शुक्रवार को पहली बार 45,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया।