माइंडफुलनेस आधारित थेरेपी तनाव कम करने में हो सकती है मददगार

अनियमित दिनचर्या जितनी आम हो गई है, उतनी ही सामान्य हो गई है बच्चों में मोटापे की समस्या। बच्चों में उपजे तनाव को नियंत्रित कर उन्हें मोटापे के दुष्चक्र से भी बाहर निकाला जा सकता है

हाल में एक अध्ययन में सामने आया है कि माइंडफुलनेस आधारित थेरेपी तनाव कम करने में मददगार हो सकती है। यह मोटापे और चिंता संबंधी विकारों (एंग्जाइटी डिसऑर्डर) से पीड़ित बच्चों का वजन भी काबू में रख सकता है।

माइंडफुलनेस एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है जो ध्यान के जरिये व्यक्तिगत जागरूकता को बढ़ाती है। इससे कैंसर और एनोरेक्सिया नर्वोसा जैसी बीमारियों से जुड़े तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है। इसलिए आहार पर नियंत्रण और माइंडफुलनेस,इन दोनों की मदद से बच्चे के बढ़ते वजन पर काबू पाने में काफी मदद मिलती है।  सिर्फ आहार पर नियंत्रण करने की जगह इन दोनों की जुगलबंदी ज्यादा सफल गई है।

‘एंडोक्राइन कनेक्शंस’ में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि मोटापे से ग्रस्त जिन बच्चों को माइंडफुलनेस थेरेपी दी गई और जिनके आहार को नियंत्रित किया गया था, उन्हें अधिक लाभ हुआ। जबकि सिर्फ कम कैलोरी वाले नियंत्रित आहार पर रहने वाले बच्चों में तनाव और भूख की समस्या देखी गई।

अध्ययन के नतीजों ने दिखलाया कि माइंडफुलनेस में मोटापे से ग्रस्त बच्चों में डाइटिंग के माध्यम से वजन को नियंत्रित करने की क्षमता है। इससे उच्च रक्तचाप या स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी कम किया जा सकता है। हालांकि इन परिणामों को पुष्ट करने के लिए और अधिक शोध करने की आवश्यकता है।

तनाव से जुड़े हैं बीमारियों के तार-
बचपन में मोटापे से हृदय रोग और मधुमेह जैसी कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। ये बीमारियां तनाव और चिंता से संबंधित भी हो सकती हैं। इसके बावजूद अधिकांश उपचार रणनीतियों में मनोवैज्ञानिक कारकों को दूर करने पर जोर ही नहीं दिया जाता है। पूरा जोर सिर्फ आहार और व्यायाम पर ही दिया जाता है। गलती यहीं हो जाती है। पिछले अध्ययनों से पता चला है कि मोटापे से जुड़े आहार संबंधी कई विकारों के लिए उच्च स्तर का तनाव जिम्मेदार हो सकता है। ऐसा होने पर आहार संबंधी बदलावों को लंबे समय तक बरकरार रख पाना कठिन हो जाता है।

यह थी अध्ययन की पद्धति-
डॉ. मर्डिया लोपेज-अलारकोन के नेतृत्व में हुए वर्तमान अध्ययन में बच्चों में चिंता (एंग्जाइटी) का स्तर मापने के लिए उनसे कुछ प्रश्न पूछे गए और उनका बॉडी मास इंडेक्स दर्ज किया गया। इस अध्ययन में 33 बच्चों के एक समूह  में रखा गया था। पहले समूह के इन बच्चों को आठ सप्ताह तक, सप्ताह में एक बार दो घंटे तक माइंडफुलनेस के कौशल सिखाए गए। साथ ही कम कैलोरी वाला नियंत्रित आहार दिया गया।

इनसे अलग 12 बच्चों के एक अन्य समूह को आठ सप्ताह तक सिर्फ कम कैलोरी वाला नियंत्रित आहार दिया गया, लेकिन उन्हें माइंडफुलनेस के कौशल नहीं बताए गए। दोनों समूहों की जांच से पता चला कि पहले समूह के बच्चों में वजन, चिंता, तनाव और भूख से संबंधित कॉर्टिसोल और ग्रेलिन हार्मोनों के स्राव के स्तर में काफी कमी आ गई थी। जबकि दूसरे समूह के बच्चों में चिंता में वृद्धि देखी गई और उनके वजन में भी बहुत कम कमी देखी गई।

डॉ. मर्डिया लोपेज-अलारकोन ने कहा, हमारे अध्ययन के नतीजों ने दिखाया कि सिर्फ आहार नियंत्रित करने से मोटापे से ग्रस्त बच्चों में चिंता और तनाव के लक्षण काफी ज्यादा बढ़ सकते हैं। जबकि माइंडफुलनेस के साथ नियंत्रित आहार लेने से कहीं बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। अध्ययन से यह साबित हुआ कि माइंडफुलनेस को नियंत्रित आहार के साथ अपनाकर मोटापे से ग्रस्त बच्चों में तनाव, चिंता और वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। पर, यह जरूरी है कि छुटपन से बच्चे को इस दिशा में सही ट्रेनिंग दी जाए और साथ ही बच्चों के साथ-साथ पूरा परिवार भी सेहतमंद जीवनशैली को अपनाए।

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