चिन्मयानंद केस: कांग्रेस को पद यात्रा निकालने की नहीं मिली अनुमति, जतिन प्रसाद नजरबंद
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री व भाजपा नेता चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में दुष्कर्म पीड़ित युवती को जेल भेजे जाने के बाद से देश का राजनीतिक माहौल गर्माने लगा है। जेल भेजी गई युवती के समर्थन में सोमवार को कांग्रेस पार्टी की पदयात्रा को प्रशासन ने निकालने से रोक दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद समेत अन्य नेताओं के घर के बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया जिससे नाराज कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सड़क पर धरने पर बैठ गए। इसके बाद विरोध जता रहे सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं व दिग्गज नेताओं अजय सिंह लल्लू, अजय गुर्जर, राजीव त्यागी को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन ले जाया गया।
चिन्मयानंद यौन शोषण प्रकरण के बहाने कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में कांग्रेस नेतृव के निर्देश पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को पीड़ित छात्रा के समर्थन में पदयात्रा का आयोजन किया गया जो शाहजहांपुर से चलकर लखनऊ में समाप्त होनी थी। उससे पहले ही जिला प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देते हुए पदयात्रा निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कांग्रेस पदाधिकारी पदयात्रा निकालने पर अड़े रहे क्योंकि उन्होंने पहले ही अनुमति के लिए आवेदन कर दिया था।
दूसरी ओर आज सुबह से पुलिस ने कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। उनके घरों के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया। साथ ही शाहजहांपुर जिला कांग्रेस कार्यालय पर भी कई थानों फोर्स लगा दी गई जिसके बाद कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कांग्रेस कार्यालय के बाहर सड़क पर धरने पर बैठ गए। उधर, जितिन प्रसाद ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर कहा कि यह दुर्भागयपूर्ण है। कांग्रेस द्वारा दुष्कर्म पीड़ित युवती के न्याय की लड़ाई लड़ी जा रही है। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए शांतिपूर्ण ढंग से पदयात्रा निकली जानी थी लेकिन उसे रोका जा रहा है। क्या वजह है, कौन सी शांति भंग की जा रही है। हमने पहले ही कह दिया है कि यह यात्रा शाहजहांपुर से निकलकर लखनऊ तक जाएगी और रेप पीड़िता के पक्ष में आवाज बुलंद की जाएगी जो की न्याय की गुहार लगा रही है। उन्होंने कहा कि शासन का यह फैसला कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कांग्रेस नेतृत्व को बर्दाश्त नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व राज्यसभा सांसद बृंदा करात और लोकतांत्रिक महिला संघ की अध्यक्ष सुभाषिनी अली भी जेल में बंद दुष्कर्म पीड़ित युवती से मिली थी। इसके बाद उन्होंने एसआईटी पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा था कि बड़े शर्म की बात है कि प्रदेश सरकार और यहां के अफसर दुष्कर्म के आरोपी को बचाने में जुटे हुए है।
उप्र में अपराधियों को सरकार का सरंक्षण है कि वो बलात्कार से पीड़ित लड़की को डरा-धमका सकें।
लेकिन, उप्र भाजपा सरकार शाहजहांपुर की बेटी के लिए न्याय माँगने की आवाज को दबाना चाहती है। पदयात्रा रोकी जा रही है। हमारे कार्यकर्ताओं नेताओं को गिरफ़्तार किया जा रहा है। डर किस बात का है?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 30, 2019
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पिछले शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष व सपा नेत्री ऋचा सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय महिला नेत्रियों का एक प्रतिनिधि मंडल भी जेल में बंद दुष्कर्म पीड़ित से मिलने शाहजहांपुर पहुंचा था लेकिन जेल प्रसाशन ने मुलाकात कराने से मना करते हुए प्रतिनिधि मंडल को जेल गेट पर ही रोक दिया था। इसके बाद ऋचा सिंह स्थानीय सपा नेताओं के साथ जेल गेट पर ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गई थी।