चारधाम यात्रा और आपदा पर क्या बोले सीएम धामी?

उत्तराखंड इन दिनों आपदा की चपेट में है। प्रदेश को हर मानसून में भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सरकार कोई भी रही हो, मानसून में उसकी कार्यशैली और क्षमताओं की परीक्षा होती है। आपदा के दौरान हुई जन-धन हानि को लेकर उठने वाले सीधे सवालों के जवाब भी सरकार या उसके मुखिया मुख्यमंत्री को देने होते हैं। ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब आगे पढ़िए, जिनके जवाब सीएम धामी ने बेबाकी से दिए।
सवाल : राज्य आपदा की चपेट में है, ऐसे में सरकार की कार्यशैली व आपकी जीवनशैली में किस तरह का बदलाव आया है?
जवाब : मानसून सीजन राज्य के लिए चुनौतीपूर्ण है। हर वर्ष किसी न किसी रूप में आपदाओं का सामना करना पड़ता है। पिछले वर्ष केदारघाटी, घनसाली, चमोली व पिथौरागढ़ जिलों के क्षेत्र प्रभावित थे। इस बार उत्तरकाशी जिले के धराली, पौड़ी जिले में सैंजी, रुद्रप्रयाग के चेपड़ों व चमोली जिले के थराली में आपदा से भारी नुकसान हुआ है। मुख्य सेवक के रूप में आपदा प्रभावितों के साथ खड़ा हूं। वहां रुककर भी और दौरे कर लगातार समीक्षा कर रहा हूं। हमने यह भी प्रावधान किया कि आपदा में मकान क्षतिग्रस्त होने या जनहानि होने पर तत्काल सहायता के रूप में पांच लाख रुपये की राशि दी जाएगी। हर साल आपदाओं का सामना कर हम फिर हिम्मत से खड़े होते हैं।
सवाल : चारधाम यात्रा का दूसरा चरण शुरू होना है। इस आपदा से कब तक उभर जाएंगे। राज्य की आर्थिकी भी जुड़ी है।
जवाब : सितंबर में ही चारधाम यात्रा का दूसरा चरण शुरू होगा। 15 सितंबर तक चारधाम यात्रा मार्गों पर आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों व पुलों को ठीक कर लेंगे। पहले चरण की यात्रा बेहतर ढंग से संचालित हुई। सावन में कांवड़ यात्रा में भी 4.5 करोड़ शिव भक्त उत्तराखंड आए। आदि कैलाश, हेमकुंड साहिब, कार्तिक स्वामी, त्रियुगीनारायण, जागेश्वर धाम, कैंची धाम, पूर्णागिरि, कैलाश मानसरोवर समेत प्रदेश के अन्य देवस्थानों में बड़ी संख्या श्रद्धालु आए थे। यात्रा को सुगम व सुरक्षित बनाने के लिए निरंतर निगरानी व स्क्रीनिंग की जा रही है। अब हमारी प्राथमिकता रहेगी क्षतिग्रस्त सड़कों व पुलों को जल्द से जल्द ठीक किया जाए।
सवाल : विपक्ष के विधायक कह रहे धर्मांतरण कानून मुस्लिम समुदाय के नट-बोल्ट टाइट करने के लिए हैं, आप क्या मानते हैं?
जवाब : विपक्ष ऐसा सोच सकता है लेकिन किसी भी समुदाय को टारगेट करना या नट बोल्ट टाइट करने के बारे में सोचना की हमारे यहां परिभाषा नहीं है। किसी भी मामले में हमने ऐसा नहीं किया। हम व्यवस्था व देश के संविधान को मानने वाले लोग हैं। कहीं पर कोई चीज असमान रूप से चल रही है तो उसे समान रूप से लाने का हमारा प्रयास रहा है। इसके लिए समान नागरिक संहिता कानून को लागू किया। हमने अल्पसंख्यक शिक्षा में सुधार के लिए कानून का विधेयक विधानसभा में पारित किया। अभी तक अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों में असमानता थी। यहां पढ़ने वाले बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही थी। अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों में सिख, बौद्ध, फारसी को शामिल किया है। सरकार का मकसद शिक्षा में पारदर्शिता लाना है। इसमें नट बोल्ट टाइट करने जैसी कोई बात नहीं है।
सवाल : विपक्ष के नेता एकजुट हैं, आने वाले दिनों में इसका प्रभाव भाजपा पर पड़ने वाला है?
जवाब : उत्तराखंड की जनता इस बात को भलीभांति जानती है, हमने उत्तराखंड की सेवा को कभी राजनीति से नहीं जोड़ा है। हम हर क्षण उत्तराखंड की जनता के लिए सोचते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में भी उत्तराखंड और यहां के लोग बसते हैं। चाहे आपदा का समय हो या चारधाम यात्रा हो, शीतकालीन यात्रा हो, प्रधानमंत्री ग्राउंड जीरो पर आकर देश-दुनिया में यहां की ब्रांडिंग करते हैं। कौन राज्य की सेवा के लिए काम कर रहा है और कौन राजनीति, यह प्रदेश की जनता अच्छी तरह से जानती है।
सवाल : आप एक के बाद एक सख्त कानून तो बना रहे हैं, युवाओं को रोजगार देने के लिए क्या कर रहे हैं?
जवाब : मुख्यमंत्री बनने के पहले दिन से 20 हजार से अधिक खाली पदों को भरने का संकल्प लिया। चार साल में 25 हजार पदों पर भर्ती हो चुकी है। सरकारी रोजगार का आंकड़ा देखें तो राज्य स्थापना के 21 वर्षों में 16 हजार पदों पर नौकरी दी गई थी। हमारे सामने ऐसी स्थिति भी आई जब भर्ती प्रक्रिया में व्यावधान पैदा करने का प्रयास किया गया, युवाओं को सड़क पर उतरने के लिए उकसाया गया। लेकिन हमने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया। रोजगार के साथ स्वरोजगार भी सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, होम स्टे, वीरचंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री उत्सव बहना योजना से महिलाओं के उत्पादों को बाजार मिल रहा है। महिलाएं एक क्रांति के रूप में आगे आ रही है। उत्तराखंड के उत्पादों की देश दुनिया में मांग बढ़ रही है। हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड भी इसी दिशा में काम कर रहा है।
सवाल : 10 से 12 बार ऐसा हुआ है कि कैबिनेट विस्तार पर आपने अखबारों की हेडलाइन को खराब किया है?
जवाब : पार्टी की एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। इसमें सभी पहलुओं पर विचार किया जाता है। सभी को प्रतिनिधित्व मिले हैं, इस पर पार्टी निर्णय भी लेती है। कैबिनेट विस्तार पर शीर्ष नेतृत्व के साथ हमारी बातचीत हो चुकी है। जल्द ही इस पर फैसला होगा। अभी प्रदेश में आपदा का समय होने के साथ ही श्राद्ध पक्ष भी आ रहे हैं। इसके बाद जो भी शुभ तिथि होगी, पार्टी उस पर निर्णय लेगी।
सवाल : ऐसा कोई राजनीतिक मसला, जिसने रात में नींद नहीं आने दी हो ?
जवाब : राज्य में आपदा से कई तरह चुनौतियां हमारे सामने हैं। पीएम मोदी का विकसित भारत का संकल्प है। हमने उत्तराखंड देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने का संकल्प लिया है। इसे पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बाबा केदार की धरती से पीएम मोदी ने कहा था यह दशक उत्तराखंड का दशक बनेगा। जब तक यह संकल्प पूरा नहीं होता, तब तक नींद कैसे आएगी।
सवाल : आपके प्रशंसक आपको धाकड़ धामी कहते हैं, आपको यह सुनने में कैसे लगता है?
जवाब : प्रशंसकों को जो अच्छा लगता है, वह कहते हैं, मै उन्हें कैसे रोक सकता हूं।
सवाल : आप प्रदेश के 11 वें मुख्यमंत्री हैं, अब तक जो 10 हुए, उनमें पसंदीदा कौन हैं?
जवाब : सभी अच्छे थे। सबकी अपने-अपने क्षेत्र में विशेषताएं रही हैं।
सवाल : कभी आपने बच्चों का होमवर्क कराया है?
जवाब : मैं उन्हें होमवर्क कराने लगूंगा तो मुझसे मिलना ही छोड़ देंगे।
सवाल : आप सोशल मीडिया पर ट्रोल भी होते हैं, कभी देखते या पढ़ते भी हैं?
जवाब : कभी समय मिलता है तो मैं देखता हूं। सोशल मीडिया टीम के साथ चिंतन भी करता हूं।
सवाल : आप चाय भी बना लेते हैं, धान की रोपाई भी कर लेते हैं। ऐसा कोई काम जिसे करने की काफी हसरत रही हो?
जवाब : धान रोपाई व लोगों से मिलना बचपन से रहा है। रुद्रपुर में रस्तोगी के यहां कढ़ी चावल खाना अच्छा लगता है। खटीमा जाता हूं तो पप्पी भाई की लस्सी, आगरा चौक की चाट खाने का मन होता है। हां, देहरादून गांधी पार्क के सामने की दुकान में अकसर जाता था और वहां का बर्गर अच्छा लगता है। अब जा नहीं पाता हूं। मंगा कर खाना व जाकर खाने में अंतर है।
सवाल : आपकी पत्नी गीता धामी जी को भी कई कार्यक्रमों में जाना पड़ा, यह आपकी व्यस्तता के कारण है या उनकी रुचि है?
जवाब : गीता धामी एक सामान्य परिवार से हैं। जैसे मैं सैनिक परिवार से हूं, उसी तरह गीता भी सैनिक परिवार की बेटी हैं। वह भी चाहती हैं, सामाजिक कार्यों में कुछ योगदान कर पाऊं। इसलिए गैर राजनीतिक या महिला स्वयं सहायता समूहों के कार्यक्रम में प्रतिभाग करती हैं। महिलाओं व सामाजिक संगठनों के कार्यक्रमों में जाती हैं।
सवाल : आप दिन की शुरुआत कैसे करते हैं?
जवाब : प्रत्येक दिन पांच बजे जाग जाता हूं। उठने के बाद योग व ध्यान करता हूं। फिर रात के 11 से 12 बजे तक काम करता हूं। ज्यादा लोगों से मिलता हूूं, सरकारी काम करता हूं तो दिन अच्छा लगता है। जिस दिन कम काम होता है तो कुछ चीजों को लेकर असहज भी हो जाता हूं। मेरा प्रत्येक दिन शेड्यूल बना रहता है। भगवान से प्रार्थना करता हूं की दिन के सभी काम पूरे हों।
सवाल : व्यस्तता के बावजूद स्वास्थ्य व फिटनेट दोनों का ध्यान कैसे रखते हैं?
जवाब : पीएम नरेंद्र मोदी मेरी प्रेरणा स्रोत हैं। जिस तरह से वे 18 से 20 घंटे काम करते हैं। उनकी प्रेरणा से मैं भी काम करता हूं। पीएम मोदी कभी कोई छुट्टी नहीं लेते हैं। हमने भी प्रयास किया कि उनके पदचिन्ह पर चलते हुए राज्य के विकास में योगदान करें। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में वर्क कल्चर आया है। कब कोई यह नहीं कहता है मैं ज्यादा काम करता हूं। इस सोच के साथ काम करके हम उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने में कामयाब होंगे।