आपकी आंखें भी दे सकती हैं अल्जाइमर के शुरुआती संकेत, आखि‍र क्‍या कहती है स्‍टडी?

चूहों पर हुए एक अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से आंखों की जांच कराने से अल्जाइमर रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि रेटिना न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के लिए एक मजबूत संकेतक हो सकती है। रेटिना में रक्त वाहिकाओं में असामान्य बदलाव अल्जाइमर के खतरे का संकेत देते हैं।

नियमित रूप से आंखों की जांच करवाने से अल्जाइमर्स रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। यह जानकारी चूहों पर किए गए एक अध्ययन से सामने आई है। यह अध्ययन अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध के बारे में विशेषज्ञों ने बताया कि हमारी रेटिना (आंख की झिल्ली) न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के लिए एक अहम और मजबूत संकेतक (बायोमार्कर) हो सकती है।

अध्ययन में ये भी पाया गया कि चूहों की रेटिना में रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) में असामान्य बदलाव नजर आए और यह बदलाव एक खास जीन वेरिएंट से जुड़े थे। यह वही जीन है जो अल्जाइमर्स रोग के खतरे का अनुमान लगाने में मदद करता है।

रेटि‍ना देख पता चल सकती है बीमारी

अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता एलेना रेजन ने कहा क‍ि यह खोज इसलिए अहम है क्योंकि अगर कोई नेत्र विशेषज्ञ आपकी रेटिना में असामान्य बदलाव देख लें, तो इससे पता चल सकता है कि आपके दिमाग में भी कुछ गड़बड़ी हो रही है। ऐसे में रोग का शुरुआती स्तर पर ही पता लगाया जा सकता है।

अल्जाइमर्स का देते हैं शुरुआती संकेत

शोधकर्ताओं ने बताया कि रेटिना दरअसल केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) का हिस्सा होती है। इसे दिमाग का विस्तार माना जाता है, क्योंकि रेटिना और दिमाग दोनों एक जैसे ऊतक (टिशू) से बने होते हैं। रेजन के अनुसार, रेटिना में ब्लड वेसल्स में होने वाले बदलाव दिमाग के स्वास्थ्य और अल्जाइमर्स जैसे रोगों के शुरुआती संकेत दे सकते हैं।

एक जैसा होता है असर

उन्होंने कहा क‍ि रेटिना असल में आपके दिमाग की खिड़की की तरह होती है। फर्क बस इतना है कि आंख की पुतली से डॉक्टर सीधे अंदर झांक सकते हैं। आपके दिमाग की तरह ही आंखों में भी वही ऊतक, वहीं नसें और वही रक्त वाहिकाएं होती हैं। यही वजह है कि दोनों पर दबाव या समस्या का असर लगभग एक जैसा होता है।

क्या रही प्रक्रिया?

अध्ययन के दौरान चूहों की रेटिना में मुड़ी हुई रक्त वाहिकाएं, सूजी हुई धमनियां और छह महीने की उम्र में कम शाखाएं (ब्रांचेज) देखी गईं।

ये संकेत बताते हैं कि मस्तिष्क में रक्त प्रवाह घट रहा है और सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होने का खतरा बढ़ रहा है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा मुड़ी या गायब ब्लड वेसल्स उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) जैसी समस्याओं की ओर इशारा करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जब धमनियां संकुचित हो जाती हैं तो जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन ठीक से दिमाग तक नहीं पहुंच पाते।

शोधकर्ताओं के अनुसार, रेटिना में ब्लड वेसल्स में जो बदलाव दिखते हैं, वे वही होते हैं जो दिमाग में डिमेंशिया जैसी स्थिति में दिखाई देते हैं।

इसका मतलब है कि यह समस्या सिर्फ दिमाग या आंख तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे शरीर से जुड़ी हुई एक प्रणालीगत गड़बड़ी हो सकती है।

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