लाल की जगह गुलाबी रिबन देख भड़के विधायक समसुल, कर्मचारी को केले के पेड़ से जमकर पीटा

बिलासीपारा की सड़कों पर इन दिनों एक ही चर्चा है- AIUDF के विधायक समसुल हुदा और उनका वह गुस्सा, जो अब सुर्खियों का हिस्सा बन चुका है। एक छोटा-सा समारोह, एक गुलाबी रिबन और कुछ गायब ईंटें- ये वो चिंगारियां थीं, जिन्होंने विधायक साहब के गुस्से को भड़का दिया। नतीजा- एक कर्मचारी को गाली देना, हाथ उठाना, केले का पौधा उखाड़कर खूब पिटाई करना। यह घटना 18 मार्च को बिलासिपारा के सुवापाटा में एक शिलान्यास समारोह के दौरान हुई, जिससे धुबरी जिले में भारी आक्रोश फैल गया है।

गुलाबी रिबन और भड़का गुस्सा

यहां दैखोवा मार्केट में एक पुल की आधारशिला रखने का समारोह चल रहा था। विधायक समसुल हुदा वहां मुख्य अतिथि थे। मिली जानकारी के अनुसार, विधायक हुदा दोपहर 3 बजे अपने विधानसभा क्षेत्र में सड़क और पक्का पुल निर्माण कार्य के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। शुरुआत में समारोह सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन तभी उनकी नजर पड़ी उस गुलाबी रिबन पर, जिसे लाल रिबन की जगह इस्तेमाल किया गया था। नारियल तोड़ने के लिए ईंटें भी नहीं थीं। नींव पत्थर के पास रखे केले के पेड़ की ऊंचाई से भी विधायक साहब को दिक्कत हुई। बस, यहीं से शुरू हुआ तमाशा। लोगों की मानें तो विधायक साहब का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। गुस्से में उन्होंने ठेकेदार के कर्मचारी सहिदुर रहमान को कॉलर से पकड़ा, थप्पड़ जड़ा और पास में लगा वही छोटा सा केला का पौधा उखाड़कर उससे हमला कर दिया। यह सब कुछ सेकंड में हुआ, लेकिन इसका असर अब तक गूंज रहा है।

वायरल वीडियो और जनता का गुस्सा

यह घटना किसी सस्ते फिल्मी ड्रामे से कम नहीं थी। और जैसे ही इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पहुंचा, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। कोई इसे कुर्सी का अहंकार बता रहा है, तो कोई विधायक की मानसिक स्थिति पर सवाल उठा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “जनता के सेवक ऐसे व्यवहार करेंगे, तो भरोसा किस पर करें?” पीड़ित सहिदुर रहमान की आवाज में दर्द साफ झलक रहा था। उसने कहा, “मैं तो अपना काम कर रहा था। विधायक साहब को इतना गुस्सा क्यों आया, समझ नहीं आता।” यह सवाल सिर्फ सहिदुर का नहीं, बल्कि पूरे बिलासिपारा के लोगों का है।

माफी का ढोंग या सच?

घटना के बाद पीड़ित रहमान ने उसी रात गौरीपुर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई, जिसे बाद में बिलासिपारा पुलिस स्टेशन ट्रांसफर किया गया। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 115(2), 8296, 352 और 351(2) के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

जब मामला तूल पकड़ने लगा और FIR दर्ज हो गई, तो विधायक साहब का रुख बदल गया। उन्होंने माफी मांगते हुए कहा, “मैं मानता हूं कि मुझसे गलती हुई। परिस्थितियों ने मुझे ऐसा करने को मजबूर किया। मैं असम की जनता से माफी मांगता हूं।” लेकिन यह माफी कितनी सच्ची है, इस पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह जनता का गुस्सा शांत करने की कोशिश थी, या सचमुच पछतावा? लोगों का कहना है कि अगर माफी मांगनी ही थी, तो पहले अपनी गलती क्यों नहीं मानी? और फिर, एक जनप्रतिनिधि को ऐसी “परिस्थितियां” क्यों बेकाबू कर रही हैं?

कुर्सी और जिम्मेदारी

यह पहली बार नहीं है जब कोई जनप्रतिनिधि अपने व्यवहार की वजह से चर्चा में आया हो। लेकिन समसुल हुदा की यह हरकत कई सवाल खड़े करती है। क्या पावर की कुर्सी इतनी भारी हो जाती है कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा फूट पड़ता है? या फिर यहि व्यक्तिगत अहंकार है, जो जनता की सेवा के वादों पर भारी पड़ रहा है? पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। AIUDF पहले से ही विवादों में घिरी है, और यह घटना पार्टी के लिए एक और झटका साबित हो सकती है। जनता की नजर अब इस बात पर है कि क्या विधायक साहब को अपनी हरकत की कीमत चुकानी पड़ेगी, या यह मामला भी समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा।

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